निजी बैंकों के 99.9 फीसदी वाहन लोन फिक्स्ड दर पर, रेपो दर की कटौती का नहीं मिलेगा लाभ
मुंबई- भारतीय रिजर्व बैंक यानी आरबीआई ने भले ही फरवरी से लेकर जून के बीच रेपो दर में एक फीसदी की कटौती की है, लेकिन निजी बैंकों से वाहन लोन लेने वाले 99.9 फीसदी ग्राहकों को इसका फायदा नहीं मिलेगा। ऐसा इसलिए, क्योंकि इन सभी को बैंकों ने फिक्स्ड दर पर कर्ज दिया है। इसी तरह से क्रेडिट कार्ड से लोन लेने वाले ग्राहकों को भी कोई फायदा नहीं मिलेगा। बैंकों ने इनको भी सभी कर्ज फिक्स्ड ब्याज दर पर दिए हैं।
आरबीआई की वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट के मुताबिक, निजी बैंकों ने 99.9 फीसदी वाहन लोन फिक्स्ड दर पर दिया है। सरकारी बैंकों ने 48.4 फीसदी कार लोन फिक्स्ड दर पर दिया है। बाकी कर्ज फ्लोटिंग दर पर है। इस तरह सभी शेडयूल्ड कमर्शियल बैंकों का 72.6 फीसदी वाहन कर्ज फिक्स्ड दर पर है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि अन्य खुदरा कर्ज में सरकारी बैंकों ने 57 फीसदी कर्ज फिक्स्ड दर पर दिया है जबकि निजी बैंकों का हिस्सा 63.7 फीसदी है। यानी कुल शेडयूल्ड बैंकों ने 59.9 फीसदी कर्ज फिक्स्ड दर पर दिया है। इसी तरह से कुल खुदरा कर्जों में सरकारी बैंकों ने 28.6 फीसदी कर्ज फिक्स्ड दर पर दिया है जबकि निजी बैंकों ने 42.4 फीसदी कर्ज फिक्स्ड दर पर दिया है। कुल शेडयूल्ड बैंकों ने मिलकर 34.9 फीसदी कर्ज फिक्स्ड दर पर दिया है।
14 चुनिंदा बैंकों के कुल उधारी में फ्लोटिंग दर वाले ऋणों की हिस्सेदारी लगभग 79 प्रतिशत है। मार्च, 2023 में यह 72.0 प्रतिशत थी। इसी अवधि के दौरान खुदरा ऋण श्रेणी में फ्लोटिंग रेट ऋणों की हिस्सेदारी 60.2 प्रतिशत से बढ़कर 65.1 प्रतिशत हो गई। इसमें से लगभग 90 प्रतिशत कर्ज बाहरी बेंचमार्क यानी ईबीएलआर से जुड़े हैं। ऐसे में हालिया रेपो दर में कटौती का फायदा खुदरा उधारकर्ताओं को तेजी से मिलेगा।
हाउसिंग फाइनेंस कंपनियां और फिनटेक फर्म जैसी एनबीएफसी से 50,000 रुपये से कम के खुदरा कर्जों का हिस्सा 84.3 प्रतिशत है । 50,000 रुपये से कम कर्ज लेने वाले लगभग 10 प्रतिशत उधारकर्ताओं का व्यक्तिगत ऋण बकाया था। पिछली तिमाही में व्यक्तिगत ऋण लेने वाले दो तिहाई से अधिक उधारकर्ताओं के पास तीन से अधिक कर्ज थे।

