सरकार फाइनेंशियल कमजोरी का हवाला देकर राहत देने से इनकार नहीं कर सकती है
मुंबई– सरकार अपनी वित्तीय कमजोरी का हवाला देकर राहत से इनकार नहीं कर सकती। सरकार का कर्तव्य उन लोगों की रक्षा करना है जो अपनी रक्षा नहीं कर सकते आपदा प्रबंधन अधिनियम (डीएमए) गंभीर परिस्थितियों में कॉन्ट्रैक्ट को ओवरराइड कर सकता है। यह बात सुप्रीम कोर्ट में वकील रविंद्र श्रीवास्तव ने कही। वे लोन मोरेटोरियम पर कोर्ट में बोल रहे थे।
वकील श्रीवास्तव ने कहा कि किसी भी वर्गीकरण (classification) को तर्कसंगत होने या किसी अध्ययन पर आधारित होने की जरूरत है। डीएम एक्ट का इस्तेमाल इस आंकड़े को एकत्र करने के लिए किया जा सकता है न कि वित्त मंत्रालय की 2 करोड़ रुपए की सीमा में जाया जाए।
उन्होंने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को और भी अधिक कार्य करने की आवश्यकता है। सरकार के फैसले उसकी आर्थिक क्षमता की अनदेखी नहीं कर सकते। उधारकर्ताओं के क्लास के बीच वर्गीकरण का आधार यही होना चाहिए कि लोगों को राहत मिले। बड़े उधारकर्ताओं के क्लास को परिभाषित नहीं किया गया है।
वकील ने कहा कि बैंकों को अपनी क्राइटीरिया खुद स्थापित करने को छोड़ने देने से समस्या उत्पन्न हो रही है। इस क्राइटीरिया से बैंकों में आपस में मतभिन्नता होगी। इससे अलग-अलग वर्किंग सिस्टम स्थापित होंगे। वकील विशाल तिवारी ने कहा कि मोरेटोरियम के लिए निर्धारित तिथि 31 दिसंबर है और इसे 31 मार्च, 2021 तक बढ़ाया जाना चाहिए। इससे पहले की सुनवाई में इंडियन बैंक्स एसोसिएशन ने कहा कि कोर्ट को तुरंत डिफॉल्टर पर लगी रोक हटाना चाहिए। कारण कि बैंक किसी भी लोन को डिफॉल्ट करने में अब असहाय हो गए हैं। आईबीए की ओर से यह मांग वकील हरीश साल्वे ने कोर्ट में की थी।