कच्चे तेल की कीमतें पांच महीने के शीर्ष पर, 78 डॉलर प्रति बैरल पहुंची
मुंबई- ईरान और इस्राइल के बीच चल रहे युद्ध के कारण कच्चे तेल की कीमतें पांच महीने के उच्च स्तर पर पहुंच गई है। यह सोमवार को 78 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गई जो जनवरी के बाद का शीर्ष है। विश्लेषकों का कहना है कि अमेरिका के जंग में शामिल होने ईरान द्वारा कुछ रास्तों को बंद करने से तेल की कीमतों में तेजी आ रही है।
सोमवार के कारोबारी सत्र की शुरुआत में क्रूड 81.40 डॉलर प्रति बैरल पहुंच गया था। हालांकि, बाद में इसमें थो़ड़ा सुधार हुआ और यह 78 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया। 13 जून को संघर्ष शुरू होने के बाद से ब्रेंट में लगभग 11 फीसदी की तेजी आई है। वेस्ट टैक्सास इंटरमीडिएट यानी डब्ल्यूटीआई में 9 फीसदी की तेजी आई है।
यूबीएस के विश्लेषकों के मुताबिक, देशों के बीच तनाव से जोखिम बहुत ज्यादा नहीं बढ़ा है, क्योंकि अब तक आपूर्ति में कोई व्यवधान नहीं हुआ है। लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि संघर्ष किस तरह बढ़ सकता है, इसलिए निकट भविष्य में कीमतें अस्थिर रहने वाली हैं। तेल उत्पादक देशों के संगठन यानी ओपेक में ईरान तीसरा सबसे बड़ा तेल उत्पादक देश है।
विश्लेषकों को आशंका है कि जवाबी कार्रवाई में ईरान होर्मुज जलडमरूमध्य को बंद करता है तो वैश्विक कच्चे तेल की आपूर्ति का लगभग पांचवां हिस्सा प्रभावित हो सकता है। सैक्सो बैंक के विश्लेषक ओले हेन्सन ने कहा, सभी की निगाहें होर्मुज जलडमरूमध्य पर टिकी हैं। साथ ही यह भी देखना होगा कि क्या ईरान टैंकर यातायात को बाधित करने का प्रयास करेगा। गोल्डमैन सैश ने कहा कि यदि महत्वपूर्ण जलमार्ग से तेल का प्रवाह एक महीने के लिए आधा कर दिया जाए, तो ब्रेंट कुछ समय के लिए 110 डॉलर प्रति बैरल के उच्चतम स्तर पर पहुंच सकता है।
विश्लेषकों का कहना है कि भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में तुरंत कोई असर नहीं दिखेगा। ऐसा इसलिए क्योंकि भारत ने पहले से ही सस्ता क्रूृड खरीदा है और उसके पास भंडार भी ज्यादा है। ऐसे में भारत अगले कुछ समय तक पेट्रोल और डीजल कीमतों को यथावत रखेगा। अगर लंबे समय तक कच्चे तेल की कीमतें ऊपर रहती हैं और ईरान से आपूर्ति में कोई अड़चन आती है तब भारत कीमतें बढ़ाने की सोच सकता है।