ईरान को निर्यात किया जाने वाला एक लाख टन बासमती बंदरगाहों पर अटका

मुंबई- इस्राइल और ईरान के बीच जारी युद्ध के कारण ईरान को भेजा जाने वाला एक लाख टन बासमती चावल भारत के विभिन्न बंदरगाहों पर अटका है। अखिल भारतीय चावल निर्यातक संघ ने सोमवार को कहा, भारत के कुल बासमती चावल निर्यात में ईरान की हिस्सेदारी 18-20 फीसदी है।

मध्य पूर्व संघर्ष के कारण ईरान जाने वाले माल की खेप मुख्य रूप से गुजरात के कांडला और मुंदड़ा बंदरगाहों पर रुकी हुई है। ईरान जाने वाले माल के लिए न तो जहाज और न ही बीमा उपलब्ध है। अंतरराष्ट्रीय संघर्ष स्टैंडर्ड शिपिंग बीमा पॉलिसियों के तहत कवर नहीं होते हैं। इससे निर्यातक निर्यात नहीं करते हैं। निर्यात में देरी और भुगतान को लेकर अनिश्चितता के कारण गंभीर वित्तीय तनाव पैदा हो सकता है।

घरेलू बाजार में बासमती चावल की कीमतें पहले ही 4-5 रुपये प्रति किलोग्राम तक गिर चुकी हैं। सऊदी अरब के बाद ईरान भारत का दूसरा सबसे बड़ा बासमती चावल बाजार है। भारत ने वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान ईरान को 10 लाख टन सुगंधित अनाज का निर्यात किया। 2024-25 के दौरान कुल 60 लाख टन बासमती चावल का निर्यात हुआ था।

संघर्ष के बढ़ने के साथ ही हरियाणा के चावल निर्यातक जहाज की आवाजाही में बड़ी बाधाओं और भुगतान में देरी से जूझ रहे हैं। भारतीय निर्यातकों द्वारा ईरान को निर्यात किए गए लगभग 2 लाख टन चावल के लिए 1,500 करोड़ से 2,000 करोड़ रुपये का भुगतान संघर्ष के कारण अटक गया है। ईरान को बासमती चावल निर्यात का 30-35 प्रतिशत हिस्सा हरियाणा से जाता है। करनाल बासमती निर्यात का मुख्य केंद्र है।

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