विमानन उद्योग के सालाना प्रीमियम से ज्यादा बीमा भुगतान करना पड़ सकता है कंपनियों को

मुंबई- अहमदाबाद में एअर इंडिया बोइंग 787 ड्रीमलाइनर विमान के दुर्घटनाग्रस्त होने से भारत का सबसे महंगा विमानन बीमा दावा सामने आया है। इसमें बीमा कंपनियों को 1,000 करोड़ रुपये से अधिक के दावे का भुगतान करना पड़ सकता है जो देश के विमानन क्षेत्र के कुल वार्षिक प्रीमियम से भी अधिक है। विमान की कीमत 7.5 से 8.5 करोड़ डॉलर यानी 645 से 731 करोड़ रुपये के बीच होने का अनुमान है।

हालांकि, विश्लेषकों का मानना है कि विमान की उम्र कम थी, इसलिए दावा थोड़ा कम हो सकता है, लेकिन 263 से अधिक की मौत और हवाई अड्डे के पास जमीन पर भारी नुकसान हुआ है। इससे देनदारी और बढ़ सकती है। एअर इंडिया ने 20 अरब डॉलर के विमानन कार्यक्रम के जरिये अपने बेड़े का बीमा कराया है। बीमा से संबंधित दावा टाटा समूह की टाटा एआईजी अन्य घरेलू बीमा कंपनियों के साथ जोखिम का हिस्सा वहन करती है।

दरअसल, इस तरह की दुर्घटना में रि-इंश्योरेंस होता है। इसका नेतृत्व एआईजी सहित एक वैश्विक संघ करता है। इस संघ में न्यू इंडिया एश्योरेंस और जीआईसी-री जैसी सरकारी कंपनियां भी शामिल हैं। विश्लेषकों के मुताबिक, इस हादसे में एयरलाइंस के पुर्जों और उपकरणों सहित विमान का वर्तमान मूल्यांकन किया जाएगा।

2013 में एअर इंडिया को ड्रीमलाइनर मिला था। 2021 में लगभग 11.5 करोड़ डॉलर में इसका बीमा किया गया था। चाहे क्षति आंशिक हो या पूर्ण, नुकसान की भरपाई एयरलाइन द्वारा घोषित मूल्य के आधार पर की जाएगी। देनदारी और दावों के और भी ज्यादा होने की उम्मीद है। इसमें देनदारी का आंकड़ा लाखों डॉलर तक पहुंच सकता है।

1999 के मॉन्ट्रियल कन्वेंशन के तहत यात्रियों को मुआवजे की गणना विशेष निकासी अधिकार (एसडीआर) में की जाती है। इसका वर्तमान मूल्य 1,28,821 एसडीआर या प्रति यात्री लगभग 1,71,000 डॉलर है। बीमा के तहत तीसरे पक्ष की संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का भी दावा होगा। ऐसे में अहमदाबाद के बीजी मेडिकल से लेकर अन्य जो भी संपत्तियों का नुकसान हुआ है, वह भी इसके दायरे में आ जाएंगे।

दावे का पैमाना और जटिलता विमानन बीमा की बदलती प्रकृति को दर्शाती है। बोइंग 787 जैसे बड़े वाणिज्यिक विमानों के लिए बीमा कवरेज पर्याप्त है और वैश्विक स्तर पर संरचित है। एअर इंडिया का विमानन कार्यक्रम अपने आकार के अन्य कार्यक्रमों की तरह वैश्विक बाजारों में पुनर्बीमाकृत है। कोई भी एक बीमा कंपनी संपूर्ण जोखिम वहन नहीं करती है। अधिकांश जोखिम विदेशी री-इंश्योरेंस कंपनियों द्वारा किया जाता है। ऐसे में भारतीय बीमा कंपनियों का कुल घाटा विमान के अधिकतम दस फीसदी तक सीमित रहेगा।

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