लोन देने के मामले में सरकारी बैंक निजी बैंकों से आगे, जमकर बांटे हैं कर्ज
मुंबई- सरकारी बैंकों ने लोन देने के मामले में प्राइवेट बैंकों को पीछे छोड़ दिया है। साल 2011 के बाद पहली बार ऐसा हुआ है। फाइनेंशियल ईयर 2025 के अंत में सरकारी बैंकों की लोन ग्रोथ प्राइवेट बैंकों से 4% ज्यादा रही। सरकारी बैंकों ने 13.1% की सालाना लोन ग्रोथ दर्ज की जबकि प्राइवेट बैंक की ग्रोथ 9% रही।
सरकारी बैंकों का प्रदर्शन कई क्षेत्रों में प्राइवेट बैंकों से बेहतर रहा। इनमें होम लोन और कॉर्पोरेट लोन शामिल हैं। इसके साथ ही ऑटो लोन जैसे नॉन-मोर्टगेज रिटेल सेगमेंट में भी सरकारी बैंक भारी पड़े। प्राइवेट बैंकों को हमेशा से ही अच्छा माना जाता रहा है। इसकी वजह यह है कि वे लगातार मार्केट में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाते रहे हैं। उनकी ग्रोथ सिस्टम की ग्रोथ से 6-7% ज्यादा रही है। अगर ग्रोथ का यह फायदा कम होता है, तो प्राइवेट बैंकों को मिलने वाले ऊंचे वैल्यूएशन का मामला कमजोर हो सकता है।
ICICI बैंक के ग्रुप सीएफओ अनिंद्य बनर्जी ने 19 अप्रैल को अपनी अर्निंग्स के बाद एनालिस्ट कॉल में कहा, “हमारे पास बहुत बड़े और काबिल प्रतियोगी हैं जिनकी कीमत हमसे काफी कम है। इससे ग्रोथ में कुछ दिक्कतें आती हैं, लेकिन यह तो जीवन का हिस्सा है। हमें इससे निपटना होगा और देखना होगा कि हम कैसे दूसरे तरीकों से मुनाफे वाली ग्रोथ को बनाए रख सकते हैं।”
HDFC बैंक के चीफ फाइनेंशियल ऑफिसर, श्रीनिवासन वैद्यनाथन ने अप्रैल में कहा था, “हमने पिछले 12-18 महीनों में देखा है कि बड़े कॉर्पोरेट लोन और बड़े SME लोन के लिए मुकाबला बढ़ गया है। खासकर कुछ सरकारी संस्थानों से, जिनके लिए ग्रोथ एक लक्ष्य है, मुनाफा या रिटर्न नहीं। हमने देखा है कि इन लोन पर ब्याज दरें बहुत कम हैं।
2011 की शुरुआत में सरकारी और प्राइवेट बैंकों की लोन ग्रोथ में लगभग 4% का अंतर था। यह 2016 में बढ़कर 20% हो गया था। कोविड के आने के बाद यह अंतर फिर से कम होने लगा और 4% पर आ गया। सरकारी बैंकों की लोन ग्रोथ और भी ज्यादा प्रभावशाली है, क्योंकि उनके पास पहले से ही बहुत बड़ा लोन बेस है।
FY25 के अंत तक सरकारी बैंकों के पास कुल ₹98.2 लाख करोड़ का लोन पोर्टफोलियो था, जो मार्केट का 52.3% है। इसकी तुलना में, प्राइवेट सेक्टर के बैंकों के पास ₹75.2 लाख करोड़ का लोन बेस था, जो कुल लोन का 40% है। औसतन, टॉप 5 सरकारी बैंकों ने अपने कॉर्पोरेट लोन में 10% की ग्रोथ की, जबकि प्राइवेट बैंकों में यह ग्रोथ 4% से भी कम रही।