महंगाई के खिलाफ लड़ाई हमने जीत ली, अब अर्थव्यवस्था बढ़ाने पर होगा जोर
मुंबई- महंगाई को नियंत्रित करने का भारतीय रिजर्व बैंक का दांव सफल हो गया है। आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा का कहना है कि महंगाई के खिलाफ लड़ाई हमने जीत ली है। इस निर्णय के पीछे तर्क देते हुए उन्होंने कहा, मुद्रास्फीति छह महीनों में काफी कम हुई है। यह अक्तूबर, 2024 में हमारे दायरे से ऊपर थी। अब यह लक्ष्य से काफी नीचे आ गई है।
भारतीय रिजर्व बैंक यानी आरबीआई का लक्ष्य दो फीसदी घट बढ़ के साथ महंगाई को चार फीसदी पर रखने का है। अप्रैल की महंगाई दर 67 महीने के निचले स्तर 3.16 फीसदी पर आ गई थी और साथ ही यह लगातार तीसरे महीने चार फीसदी से कम रही। मई के महंगाई के आंकड़े अगले हफ्ते आएंगे। यह तीन फीसदी से नीचे रह सकता है। मल्होत्रा ने कहा, मुद्रास्फीति में व्यापक आधार पर नरमी के संकेत हैं। दूसरी ओर, चुनौतीपूर्ण वैश्विक माहौल और बढ़ती अनिश्चितता के बीच विकास दर अभी भी आकांक्षा से कम बनी हुई है।
शुक्रवार को रेपो दर में कटौती के बाद मल्होत्रा ने कहा, सामान्य मानसून को देखते हुए वित्त वर्ष 2025-26 के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) मुद्रास्फीति 3.7 प्रतिशत रहने का अनुमान है। जून और सितंबर तिमाहियों में क्रमशः 2.9 और 3.4 प्रतिशत रह सकती है। दिसंबर तिमाही में 3.9 और मार्च तिमाही में 4.4 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
मल्होत्रा ने कहा, रबी फसल के मौसम में रिकॉर्ड गेहूं और प्रमुख दालों के अधिक उत्पादन से प्रमुख खाद्य वस्तुओं की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित होगी। सामान्य से बेहतर मानसून और इसके जल्दी आने की संभावना खरीफ फसल के लिए शुभ संकेत है। इससे मुद्रास्फीति की उम्मीदें नरम होती दिख रही हैं, खासकर ग्रामीण परिवारों के लिए। अधिकांश अनुमान कच्चे तेल सहित प्रमुख वस्तुओं की कीमतों में निरंतर नरमी की ओर इशारा करते हैं।
रेपो रेट में भारी कटौती आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए की गई है। मार्च में समाप्त वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था चार साल के निचले स्तर 6.5 प्रतिशत पर पहुंच गई थी। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीतियों के बाद बढ़ते व्यापार तनाव ने अर्थव्यवस्था को मुश्किल में डाल दिया है। विकास की गति को बढ़ाने के लिए नीतिगत उपायों के माध्यम से घरेलू निजी खपत और निवेश को प्रोत्साहित करना जारी रखना अनिवार्य है। मल्होत्रा ने कहा, इस बदली हुई विकास मुद्रास्फीति गतिशीलता के लिए न केवल नीतिगत ढील जारी रखना जरूरी है, बल्कि विकास को समर्थन देने के लिए दरों में कटौती को भी आगे बढ़ाना होगा। हालांकि मूल्य स्थिरता एक आवश्यक शर्त है, लेकिन यह विकास सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त नहीं है।
गवर्नर ने कहा, मूल्य स्थिरता खरीदने की शक्ति बढ़ाती है। घरों और व्यवसायों को उनकी बचत और निवेश निर्णयों में निश्चितता प्रदान करती है। अनुकूल ब्याज दरें और वित्तीय स्थितियां सुनिश्चित करती है। यह समतापूर्ण विकास और साझा समृद्धि के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इसका अभाव गरीबों पर असंगत रूप से बोझ डालता है।
रिजर्व बैंक बैंकिंग प्रणाली को पर्याप्त तरलता उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है। जनवरी से अब तक बैंकिंग प्रणाली में 9.5 लाख करोड़ रुपये की टिकाऊ निधि डाली गई है। इससे बैंकों के पास पर्याप्त नकदी है।
मल्होत्रा ने 3डी भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए 5x3x3 फॉर्मूला दिया जो ताकत, स्थिरता और अवसर की तस्वीर पेश करता है। पहला, ताकत पांच प्रमुख क्षेत्रों – कॉरपोरेट, बैंक, घर, सरकार और बाहरी क्षेत्र की मजबूत खाताबही से आती है।
दूसरा, तीनों मोर्चों – मूल्य, वित्तीय और राजनीतिक क्षेत्र में स्थिरता है, जो इस गतिशील रूप से विकसित हो रही वैश्विक आर्थिक व्यवस्था में नीति और आर्थिक निश्चितता प्रदान करती है।
तीसरा, भारतीय अर्थव्यवस्था 3डी – जनसांख्यिकी, डिजिटलीकरण और घरेलू मांग के माध्यम से निवेशकों को अपार अवसर प्रदान करती है।
भारत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश यानी एफडीआई के लिए एक आकर्षक निवेश गंतव्य बना हुआ है। एफडीआई एक साल पहले के 71.3 अरब डॉलर से लगभग 14 प्रतिशत बढ़कर 2024-25 में 81 अरब डॉलर हो गया। हालांकि, शुद्ध एफडीआई एक साल पहले के 10.1 अरब डॉलर से घटकर 2024-25 में 0.4 अरब डॉलर रह गया।
मल्होत्रा ने कहा, पहलगाम हमले के बाद भारत-पाकिस्तान संघर्ष का आर्थिक गतिविधि पर नगण्य प्रभाव पड़ा है। उन दिनों इसका कुछ प्रभाव अवश्य पड़ा, खासकर उत्तर भारत में। हवाई अड्डे बंद हो गए, हवाई यात्रियों की आवाजाही में निश्चित रूप से कमी आई, लेकिन आपूर्ति श्रृंखला में कोई बड़ी बाधा नहीं आई।
केंद्रीय बैंक क्रिप्टोकरेंसी को लेकर चिंतित है, क्योंकि इससे वित्तीय स्थिरता बाधित हो सकती है। सरकार की एक समिति इस पर नजर रख रही है। भारत वर्तमान में क्रिप्टोकरेंसी के लिए एक चर्चा पत्र पर काम कर रहा है। वैश्विक मानदंडों पर विचार कर रहा है।
गवर्नर ने कहा, धोखाधड़ी से प्रभावित इंडसइंड बैंक अब अच्छा प्रदर्शन कर रहा है। एमडी और सीईओ सुमंत कठपालिया के इस्तीफे को जवाबदेही के नजरिए से काफी अच्छा कदम माना जाना चाहिए। बैंक ने सभी नियमों का पालन किया है।