घट जाएगी किस्त, रेपो रेट में जून में हो सकती है 0.50 फीसदी की कटौती
मुंबई- आरबीआई इस बार रेपो दर में 0.50 फीसदी की कटौती कर सकता है। इससे रेपो दर घटकर 6 फीसदी पर आ जाएगी, जो अभी 6 फीसदी पर है। फरवरी और अप्रैल में 0.50 फीसदी की कटौती को मिलाकर कुल कमी एक फीसदी की हो सकती है।
भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय रिजर्व बैंक यानी आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति की बैठक बुधवार से शुरू होगी। फैसला शुक्रवार को आएगा। इस कटौती से कर्ज की मांग में तेजी आएगी और अनिश्चितताओं को संतुलित करने में मदद मिलेगी।
रिपोर्ट के अनुसार, आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा की अध्यक्षता वाली छह सदस्यीय एमपीसी ने अप्रैल की अपनी नीति में रुख को तटस्थ से बदलकर उदार करने का भी निर्णय लिया। इस बार बड़ी कटौती से लोगों को फायदा मिलेगा। इससे बैंकों को भी कर्ज बांटने में मदद मिलेगी।
रिपोर्ट के मुताबिक, फरवरी से शुरू कटौती के चक्र के दौरान कुल एक फीसदी तक की दरों में कटौती हो सकती है। फरवरी और अप्रैल में रेपो दर कम होने के बाद कई बैंकों ने हाल ही में अपने रेपो लिंक्ड ईबीएलआर को घटा दिया है। अब, लगभग 60.2 प्रतिशत कर्ज बाहरी बेंचमार्क आधारित उधार दरों (ईबीएलआर) से जुड़े हैं। 35.9 प्रतिशत कर्ज सीमांत लागत आधारित उधार दर यानी एमसीएलआर से जुड़े हैं। एमसीएलआर मूलरूप से लंबे अवधि वाला कर्ज के लिए होता है।
कटौती का असर यह भी हुआ है कि बैंकों ने पहले ही बचत खातों पर ब्याज दरों को घटाकर 2.7 प्रतिशत कर दिया है। फरवरी से सावधि जमा यानी एफडी दरों में 30-70 आधार अंकों की कमी की गई है। आने वाली तिमाहियों में जमा दरों पर कटौती का और ज्यादा असर दिखेगा। वाणिज्यिक बैंकों की ऋण वृद्धि दर 16 मई तक के पखवाड़े में धीमी होकर 9.8 प्रतिशत हो गई है। पिछले साल इसी अवधि में यह 19.5 प्रतिशत थी।