सरकार ने आयात कर में की भारी कटौती, आगे सस्ते होंगे इलेक्ट्रिक वाहन

मुंबई- इलेक्ट्रिक वाहन यानी ईवी आने वाले समय में सस्ते होंगे। सरकार ने घरेलू ईवी उत्पादन में निवेश करने वाले विदेशी वाहन निर्माताओं के लिए आयात कर में भारी कमी करने का फैसला लिया है। इसका उद्देश्य स्थानीय विनिर्माण को मजबूत करना और वैश्विक स्तर की बड़ी कंपनियों को भारत में लाना है। इस योजना को पिछले वर्ष 15 मार्च को भारी उद्योग मंत्रालय ने अधिसूचित किया था।

सरकार ने ईवी की नई नीति को सोमवार को अधिसूचित कर दिया। इससे इलेक्ट्रिक कार निर्माताओं के लिए विंडो खुलने के बाद आवेदन करने का रास्ता साफ हो गया है। अधिकारियों ने कहा, आवेदन विंडो कुछ हफ्तों में कम से कम 120 दिनों के लिए खुल सकती है। वाहन निर्माताओं को वर्तमान में 70 से 100 प्रतिशत आयात कर की तुलना में 15 प्रतिशत शुल्क पर 8,000 इलेक्ट्रिक वाहनों को आयात करने की मंजूरी मिलेगी। बशर्ते वे कंपनियां स्थानीय ईवी विनिर्माण में 4,150 करोड़ रुपये का निवेश करने के लिए तैयार हों।

भारत में इलेक्ट्रिक यात्री कारों के विनिर्माण को बढ़ावा देने की योजना के तहत अधिसूचित दिशानिर्देशों के अनुसार, कंपनियों को मंजूरी मिलने के तीन वर्षों के भीतर भारत में विनिर्माण सुविधाओं में परिचालन शुरू करना होगा। इन विनिर्माणं में स्थानीय सामग्री की जरूरतों को भी पूरा करना होगा। स्वीकृत आवेदकों को आवेदन स्वीकृति की तारीख से 5 साल के लिए 15 प्रतिशत की कम सीमा शुल्क पर न्यूनतम 35,000 डॉलर के लागत, बीमा और किराये (सीआईएफ) मूल्य के साथ ई-4डब्ल्यू की पूरी तरह से निर्मित इकाइयों (सीबीयू) का आयात करने की मंजूरी दी जाएगी।

योजना के तहत किए गए निवेश पर प्रति आवेदक अधिकतम छूट शुल्क 6,484 करोड़ रुपये होगी। भारी उद्योग मंत्रालय ने कहा, 3 साल के दौरान भारत में आवेदक द्वारा की जाने वाली न्यूनतम निवेश प्रतिबद्धता 4,150 करोड़ रुपये होगी। आवेदक को आवेदन अनुमोदन की तारीख से तीन वर्ष में पात्र उत्पादों ई-4डब्ल्यू के विनिर्माण के लिए विनिर्माण सुविधा स्थापित कर परिचालन शुरू करना होगा।

नए संयंत्र, मशीनरी, उपकरण और इंजीनियरिंग अनुसंधान और विकास पर किया गया खर्च इस योजना के अंतर्गत निवेश से संबंधित लाभ लेने के लिए पात्र होगा। जमीन पर किए गए खर्च पर विचार नहीं किया जाएगा। हालांकि, मुख्य संयंत्र और उपयोगिताओं की नई इमारतों को निवेश के हिस्से के रूप में माना जाएगा, बशर्ते यह प्रतिबद्ध निवेश के 10 प्रतिशत से अधिक न हो।

योजना के तहत आवेदकों के लिए अनुमोदन पत्र जारी करने की तिथि से 3 वर्षों के भीतर न्यूनतम 25 प्रतिशत घरेलू मूल्य संवर्धन (डीवीए) प्राप्त करना होगा। 5 वर्षों के भीतर न्यूनतम 50 प्रतिशत डीवीए प्राप्त करना होगा। चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर पर किया गया खर्च प्रतिबद्ध निवेश का 5 प्रतिशत तक माना जाएगा।

विनिर्माण सुविधाएं स्थापित करने, डीवीए की प्राप्ति और योजना के तहत निर्धारित शर्तों के अनुपालन के लिए आवेदक की प्रतिबद्धता को भारत में अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक से बैंक गारंटी द्वारा समर्थित किया जाएगा। यह छोड़े जाने वाले कुल शुल्क के बराबर या 4,150 करोड़ रुपये, जो भी अधिक हो, के बराबर होगा। आवेदन आमंत्रित करने वाले नोटिस के जरिये आवेदन प्राप्त करने की अवधि 120 दिन (या अधिक) की होगी। भारी उद्योग मंत्रालय को 15 मार्च, 2026 तक आवश्यकतानुसार आवेदन विंडो खोलने का अधिकार होगा। आवेदन पत्र दाखिल करते समय आवेदक को पांच लाख रुपये आवेदन शुल्क देना होगा, जो वापस नहीं होगा।

योजना के तहत योग्यता और लाभ प्राप्त करने के लिए आवेदक के पास ऑटोमोटिव विनिर्माण से न्यूनतम 10,000 करोड़ रुपये का वैश्विक समूह राजस्व होना आवश्यक है। आवेदन दाखिल करते समय वार्षिक वित्तीय विवरणों के आधार पर किसी कंपनी या उसके समूह की कंपनियों का अचल संपत्तियों में वैश्विक निवेश कम से कम 3,000 करोड़ रुपये होना चाहिए।

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