ग्रामीण और सेमी अर्बन इलाकों से जीएसटी कलेक्शन में हुई वृद्धि, इंफ्रा, यूटिलिटी, खपत सेक्टर का सबसे ज्यादा योगदान
मुंबई- जून महीने में जीएसटी कलेक्शन के आंकड़े को लेकर सभी के कान खड़े हो गए हैं। दरअसल जून में 90,917 करोड़ रुपए का जीएसटी सरकार को मिला है। यह आंकड़ा पिछले साल जून की तुलना में महज 9 प्रतिशत कम है। हालांकि विश्लेषकों का मानना है कि यह कलेक्शन मुख्य रूप से ग्रामीण इलाकों और अर्धशहरी (सेमी अर्बन) इलाकों से आया है।
दरअसल बुधवार को सरकार ने जीएसटी के आंकडों को जारी किया। अनुमान था कि आंकड़े खराब आएंगे। लेकिन जो आंकड़ा आया वह पिछले साल जून से महज 9 प्रतिशत कम आया। ऐसे में यह सवाल उठ रहा है कि जब पूरी अर्थव्यवस्था ठप है। बेरोजगारी बढ़ी है। लोगों की जॉब जा रही है। रेड जोन में और ज्यादा केस कोरोना के आ रहे हैं। ग्रामीण इलाकों में भी कोरोना पांव पसार रहा है। ऐसे में जीएसटी में 91 हजार करोड़ रुपए आने का आंकड़ा लोगों के गले नहीं उतर रहा है।
हालांकि विश्लेषक इससे सहमत हैं। के.आर. चौकसी के एमडी देवेन चौकसी कहते हैं कि जून महीने में अर्थव्यवस्था 60-70 प्रतिशत खुल चुकी थी। ग्रामीण और सेमी अर्बन इलाके पहले से ही चल रहे थे। इस वजह से जीएसटी के आंकड़े में उछाल दिखा है। उन इलाकों में स्थिति सामान्य है। वे कहते हैं कि इन इलाकों में मजबूत ग्रोथ हुई है। मांग बढ़ी है। सही रूप से देखा जाए तो इंफ्रा, यूटिलिटी, खपत और फार्मा सेक्टर से ज्यादा जीएसटी आया होगा।
बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री समीर नारंग कहते हैं कि जीएसटी कलेक्शन ने सकारात्मक रूप से चौंका दिया है। हो सकता है कि इसमें से काफी कुछ दबी हुई मांग (पेंट अप डिमांड) से भी हुआ हो। हालांकि सर्विस सेक्टर से जीएसटी काफी कम आया होगा। क्योंकि होटल, एयरलाइंस, रेस्तरां और सिनेमाघर या तो कम क्षमता पर चल रहे हैं या बंद हो रहे हैं। इसलिए, इस संबंध में किसी ठोस नतीजे पर पहुंचने के लिए हमें और अधिक डेटा का इंतजार करना होगा।
बता दें कि जीएसटी रेवेन्यू कलेक्शून जून 2020 में 90,917 करोड़ रुपए रहा है। मई में 62,009 करोड़ जबकि अप्रैल में 32,295 करोड़ रहा। अगर जून तिमाही की बात करें तो यह एक लाख 85 हजार 220 करोड़ रुपए रहा है। हालांकि एक साल पहले 2019 की जून तिमाही में यह आंकड़ा तीन लाख 14 हजार करोड़ रुपए था। उसकी तुलना में इस तिमाही में करीबन 41 प्रतिशत की गिरावट आई है। मासिक आधार पर देखें तो अप्रैल की जीएसटी के आंकड़ों में 72 प्रतिशत और मई के आंकड़ों में 38 प्रतिशत की गिरावट आई है।