यूपी, बिहार सहित उत्तर भारत के 12 राज्यों में बीमा माफिया गैंग सक्रिय
मर चुके लोगों के नाम पर पॉलिसी बनाकर वसूले करोड़ों रुपये
इंडिया फर्स्ट लाइफ ने धोखाधड़ी में 10 लाख रुपये का दावा किया पास
मुंबई- उत्तर प्रदेश के संभल जिले में सैकड़ों करोड़ रुपये के बड़े बीमा घोटाले के सामने आने के तीन महीने बाद पुलिस ने उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड के 11 आरोपियों के खिलाफ 800 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की है। यह घोटाला 12 राज्यों तक फैला है। बीमा माफिया समूह पर आरोप है कि इसने मरने वाले लोगों और यहां तक कि पहले से ही मर चुके लोगों के नाम पर फर्जी जीवन बीमा पॉलिसियां बनाईं।
बीमा माफिया ने मरने वाले लोगों के नाम से बनाई इन पॉलिसियों का इस्तेमाल आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल, पीएनबी मेटलाइफ, बजाज आलियांज और एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस सहित प्रमुख बीमा कंपनियों से पैसे हड़पने के लिए किया था। यह जांच संभल के पुलिस अधीक्षक कृष्ण कुमार विश्नोई के नेतृत्व में हो रही है। कई राज्यों में फैले 26 सदस्यों के गिरोह इसमें शामिल हैं। कई एफआईआर दर्ज करने के बाद इन लोगों को गिरफ्तार किया गया।
पहली बार घटना की जानकारी तब मिली, जब 17 जनवरी को संभल में एसयूवी को रोका गया। कार में बड़ी अघोषित नकदी के साथ पैन कार्ड, डेबिट कार्ड आदि मिले। 11 आरोपियों के नाम जो चार्जशीट दाखिल हुई है, उनमें ओंकारेश्वर मिश्रा (वाराणसी), सूरजपाल, शाहरुख खान (संभल) और शिवेंद्र कुमार (बिहार) शामिल हैं। बहुत सारे आरोपी फरार हैं या रडार पर हैं।
गिरोह ने एक गणना मॉडल का उपयोग करके घटना को अंजाम दिया। इनके निशाने पर गरीब और गंभीर रूप से बीमार व्यक्ति थे, जिन्हें बीमा कंपनियों के सामने गलत तरीके से स्वस्थ बताया गया था। इनमें कैंसर मरीज, किडनी की बीमारी से पीड़ित, बिस्तर पर पड़े बुजुर्ग के नाम पर पॉलिसी ली गई। चूंकि ये लोग मृत्यु के करीब थे, इसलिए गिरोह ने प्रीमियम राशि का भुगतान खुद किया। बीमाधारक की मृत्यु के बाद अपराधियों को पूरी दावा राशि मिल जाती थी। उसके बाद वे गायब हो जाते थे। बीमा एजेंट वित्तीय सलाहकार के रूप में पेश होकर इन परिवारों से संपर्क करते और उन्हें जीवन बीमा पॉलिसी खरीदने के लिए राजी करते।
कई मामलों में अपराधी उन लोगों के लिए भी पिछली तारीख वाली पॉलिसी बनाने में कामयाब हो गए जो पहले ही मर चुके थे। एक बार जब ये प्रक्रिया पूरी हो जाती थी, तो वे दावा करते थे और पैसे आपस में बांट लेते थे। कुछ मामलों में आरोपियों ने मृतक के परिवार को दावे की राशि का एक छोटा हिस्सा दिया भी, बाकी मामलों में संबंधित परिवार को अंधेरे में रखा और एक भी रुपये का मुआवजा नहीं दिया।
अब तक संभल, बदायूं, मुरादाबाद और अमरोहा के विभिन्न पुलिस थानों में 14 एफआईआर दर्ज हैं। पुलिस अधिकारियों ने बताया, यह घोटाला कम से कम 12 राज्यों में चल रहा था। चार्जशीट में वसूली का विवरण, कॉल डेटा रिकॉर्ड, जाली पॉलिसी दस्तावेज और बैंक लेनदेन भी शामिल हैं।
सात साल से यह कारोबार चल रहा है। इसमें कई बीमा कंपनियां, मुखबिरों का गिरोह शामिल था जो गंभीर रूप से बीमार या मृतकों के बारे में जानकारी जुटाता था। आरोपी चुराए गए बैंक डिटेल्स का उपयोग और स्थानीय ग्राम प्रधानों और सचिवों के साथ मिलकर मृत्यु प्रमाण और फर्जी पॉलिसी दस्तावेज बनाए और दावे किए।
इसी साल 17 जनवरी को संभल नाके पर एसयूवी में सवार दो लोगों ने भागने की कोशिश की। पुलिस को भूरे रंग के लिफाफों में लाखों की नकदी और रबर बैंड से बंधे 19 डेबिट कार्ड मिले। कुछ ही घंटों में वाराणसी के ओंकारेश्वर मिश्रा और अमरोहा के अमित कुमार को हिरासत में ले लिया गया। इन गिरफ्तारियों ने एक ऐसे अपराध का पर्दाफाश किया जिसने जासूसों के होश उड़ा दिए।
अब तक 10 बीमा कंपनियों को नोटिस भेजा गया है। इनमें से पांच कंपनियों ने दो साल के डाटा दिए हैं। जिसमें 1,600 संदिग्ध दावों का खुलासा हुआ है। इन मामलों में लगभग सभी मौतें पॉलिसी जारी होने के एक साल के भीतर कभी-कभी कुछ महीनों के भीतर दिल के दौरे के कारण हुईं।
एसबीआई लाइफ ने यूपी में 7 करोड़ रुपये के संदिग्ध धोखाधड़ी वाले दावों को पास किया है। आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल लाइफ ने 4.5 करोड़, केनरा एचएसबीसी लाइफ ने कई राज्यों में 7 करोड़ रुपये के धोखाधड़ी वाले भुगतान किए। इंडिया फर्स्ट लाइफ इंश्योरेंस ने झूठे दावों में 10 करोड़ रुपये से ज्यादा का भुगतान किया। यह आंकड़ा पहली बार मामला उजागर होने के समय का है। इसमें आगे और बढ़त हो सकती है।