एपल का हर पांचवां आईफोन बन रहा भारत में, चीन से घट रही हिस्सेदारी
मुंबई-आईफोन बनाने वाली एपल हर पांच में से एक फोन भारत में बना रही है। अप्रैल, 2024 से मार्च, 2025 के बीच एक साल में इसने भारत में 1.90 लाख करोड़ रुपये या 22 अरब डॉलर मूल्य के फोन का निर्माण किया है। यह उसके पहले के साल की तुलना में 60 फीसदी अधिक है। साथ ही, यह चीन से दूर कंपनी के निरंतर विविधीकरण का नतीजा भी है।
यह वृद्धि दर्शाती है कि आईफोन निर्माता और उसके आपूर्तिकर्ता चीन से भारत की ओर रुख कर रहे हैं। यह प्रक्रिया तब शुरू हुई जब कोरोना के कारण लगे कठोर लॉकडाउन ने एपल के सबसे बड़े प्लांट में उत्पादन को प्रभावित किया। भारत में निर्मित आईफोन का बड़ा हिस्सा दक्षिण भारत में स्थित फॉक्सकॉन के कारखाने में असेंबल किया जाता है। विस्ट्रॉन कॉर्प को खरीदने और पेगाट्रॉन कॉर्प के संचालन को नियंत्रित करने वाली टाटा समूह की इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण कंपनी भी इसमें महत्वपूर्ण योगदान दे रही है।
ट्रंप प्रशासन ने शुक्रवार देर रात स्मार्टफोन और कंप्यूटर सहित इलेक्ट्रॉनिक्स सामानों को जवाबी टैरिफ से छूट दे दी। यह एपल और एनवीडिया कॉर्प जैसी कंपनियों के लिए अच्छी खबर है। हालांकि यह छूट ट्रंप द्वारा चीन पर लगाए गए अलग से 20 फीसदी शुल्क पर लागू नहीं होती है, जिसका इस्तेमाल बीजिंग पर नकेल कसने के लिए दबाव बनाने के लिए किया गया था।
भारत में बने आईफोन पर अभी अमेरिका कोई शुल्क नहीं लगा रहा है। चीन पर चूंकि अमेरिका ने भारी भरकम शुल्क लगा दिया है, इसलिए एपल जैसी कंपनियों को अपनी आपूर्ति श्रृंखला में बदलाव को तेज करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। इसका सीधा फायदा भारत को होगा। हालांकि, करीब 200 आपूर्तिकर्ताओं और चीन पर अत्यधिक निर्भरता के कारण अन्य देशों में जाने में कई साल लग सकते हैं।
ट्रंप की अमेरिका में आईफोन बनाने की महत्वाकांक्षा के बावजूद एपल द्वारा जल्द वहां उत्पादन शुरू करने की संभावना नहीं है, क्योंकि उपकरणों के उत्पादन के लिए आवश्यक सुविधाओं और श्रम की कमी जैसे प्रमुख कारक हैं। एपल के सीईओ टिम कुक के मुताबिक, एपल की उत्पादन क्षमता का केवल 10 फीसदी चीन से बाहर ले जाने में आठ साल लगेंगे। एपल अब अपने पूरे आईफोन रेंज को भारत में ही असेंबल करता है। भारत के स्मार्टफोन बाजार में एपल की हिस्सेदारी लगभग 8 फीसदी है। वित्त वर्ष 2024 में इसकी बिक्री लगभग 8 अरब डॉलर तक पहुंच गई।