जीवन बीमा पॉलिसी ले रहे तो कंपनियों के क्लेम अनुपात को जांचना जरूरी

मुंबई- जीवन बीमा आप अगले वित्त वर्ष से लेने वाले हैं तो इन कंपनियों के हालिया जारी क्लेम रेशियो को आपको जरूर देखना चाहिए। इससे पता चलता है कि आप जब पैसा लेने का दावा करते हैं तो वह कौन सी कंपनी है जो सबसे अच्छा क्लेम पास करती है। इन कंपनियों के आंकड़ों से आप यह निर्णय ले पाएंगे कि कौन सी कंपनी आपके मुसीबत के समय काम आ सकती है।

अधिकतर लोग अपने प्रियजनों को किसी दुर्भाग्यपूर्ण या अप्रत्याशित घटना की स्थिति में वित्तीय रूप से सुरक्षित रखने के लिए जीवन बीमा योजना खरीदते हैं। पॉलिसीधारक एक निश्चित अवधि में नियमित रूप से प्रीमियम का भुगतान करता है, ताकि अगर परिवार के मुख्य कमाने वाले की अप्रत्याशित रूप से मृत्यु हो जाए, तो जीवित आश्रितों को बीमा से कुछ आर्थिक सहायता मिल सके, ताकि वह आगे का जीवन गुजर-बसर कर सके। जीवन बीमा खरीदना व्यर्थ हो सकता है जब अगर बीमा कंपनी पॉलिसीधारकों के किए गए दावों का सम्मान नहीं करती है। आप इस तरह से पता लगा सकते हैं कि आपकी जीवन बीमा कंपनी दावों पर समय पर भुगतान करती है या नहीं? कुल मिले दावों का कितना प्रतिशत भुगतान करती है? और क्या समय पर कंपनी पैसा देती है या नहीं?

दावा निपटान अनुपात से मतलब उन दावों के प्रतिशत से है जिन्हें बीमा कंपनी किसी अवधि के दौरान मिले कुल दावों में से भुगतान करती है। यदि किसी कंपनी का 30 दिनों में दावा निपटान अनुपात 95 फीसदी है, तो इसका मतलब है कि दावा मिलने के 30 दिनों के भीतर पॉलिसीधारकों से मिले हर 100 दावों में से 95 दावों का भुगतान किया है। दावा निपटान अनुपात यह अनुमान लगाने में मदद कर सकता है कि दावों के एवज में भुगतान होने की कितनी संभावना है। सामान्य नियम के अनुसार, उच्च दावा निपटान अनुपात, यानी 100 फीसदी के करीब है तो वह अच्छा है। यानी पॉलिसीधारकों द्वारा किए गए लगभग सभी दावों को 30 दिनों में पूरा किया गया है।

किसी कंपनी का दावा निपटान अनुपात कम है, तो इसका मतलब कंपनी का संभावित रूप से दावे में देरी करने या सबसे खराब स्थिति में दावों को अस्वीकार करने का ट्रैक रिकॉर्ड है। दावा निपटान अनुपात एक महत्वपूर्ण मीट्रिक है, लेकिन सिर्फ इसी के आधार पर कंपनी का चयन करना भी गलत है। अंतिम निर्णय लेने से पहले कवरेज और प्रीमियम जैसे अन्य कारकों पर भी विचार करना चाहिए। आपको यह भी जांचना चाहिए कि कंपनी को जो प्रीमियम मिला है, उसमें से कितनी रकम उसने दावों के निपटान के रूप में भुगतान किया है। यानी आपने 100 रुपये प्रीमियम दिया तो आपको भुगतान के समय कितना पैसा मिला है।

2023-2024 की रिपोर्ट हाल में जारी हुई है। निजी और एलआईसी सहित बीमा उद्योग का दावा निपटान अनुपात 30 दिन की अवधि में 96.82 फीसदी रहा है। इसका मतलब है कि कुल व्यक्तिगत मृत्यु दावा में से 96.82 फीसदी निपटान दावा प्राप्त होने के 30 दिनों में किए गए। इसमें निजी कंपनियों का अनुपात लगभग 99 फीसदी रहा है। यहां संख्या का तात्पर्य वर्ष के दौरान प्रत्येक जीवन बीमाकर्ता द्वारा बेची गई जीवन बीमा पॉलिसियों की संख्या से है। आंकड़ों के अनुसार, कोटक महिंद्रा, एजिस फेडरल, फ्यूचर जनरली और अवीवा जैसी कुछ जीवन बीमा कंपनियों ने 100 फीसदी दावा निपटान किया है। बड़ी कंपनियों में एक्सिस मैक्स का अनुपात 99.79 फीसदी रहा। एचडीएफसी का 99.97 फीसदी रहा। इसने 30 दिनों के भीतर लगभग 19,333 पॉलिसियों का निपटान किया। 7,99,612 पॉलिसियां निपटाने के साथ एलआईसी सबसे आगे रही।

उच्च दावा निपटान अनुपात का अर्थ है कि कंपनी वर्ष के दौरान एकत्रित कुल दावों का ज्यादा अनुपात का भुगतान कर रही है। यह एक सकारात्मक संकेत है, क्योंकि यह कंपनी की निष्पक्ष निपटान की इच्छा को दर्शाता है। अगर किसी कंपनी का दावा निपटान अनुपात कम है, तो इसका सीधा मतलब है कि वह भुगतान करने में देरी कर रही है, या दावों को पूरी तरह से नकार रही है। लाभ राशि के आधार पर दावा निपटान अनुपात के मामले में एचडीएफसी सबसे आगे है, जिसने 30 दिनों के भीतर दावा निपटान के लिए कुल लाभ राशि का 99.98 फीसदी भुगतान किया। एक्सिस मैक्स लाइफ 30 दिनों के भीतर दावा निपटान के लिए कुल लाभ राशि का 99.97 फीसदी भुगतान के साथ दूसरे स्थान पर है।

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