वित्त वर्ष 2025-26 के दौरान 6.8 फीसदी की दर से बढ़ सकती है देश की जीडीपी
मुंबई- वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 31 जनवरी को इकोनॉमिक सर्वे पेश किया। इसके अनुसार एक अप्रैल 2025 से 31 मार्च 2026 के दौरान GDP ग्रोथ 6.3% से 6.8% रहने का अनुमान है।
इकोनॉमिक सर्वे बजट से एक दिन पहले पेश किया जाता है। इसमें देश की GDP का अनुमान और महंगाई समेत कई जानकारियां होती है। इससे पता चलता है कि हमारे देश की अर्थव्यवस्था की हालत कैसी है। डिपार्टमेंट ऑफ इकोनॉमिक अफेयर्स इसे तैयार करता है।
सर्वे में कहा गया है कि 2047 तक भारत को विकसित भारत बनाने के लिए अगले एक से दो दशक तक 8% के दर से आर्थिक विकास करना होगा। 2023-2024 में रिटेल महंगाई 5.4% थी, जो अप्रैल-दिसंबर 2024 में 4.9% हो गई। चौथी तिमाही में महंगाई में कमी की उम्मीद है। खराब मौसम, कम उपज के चलते सप्लाई चेन में बाधा आने से खाने-पीने की महंगाई बढ़ी।
सर्वे में कहा गया है कि लेबर मार्केट के हालात 7 साल में बेहतर हुए है। वित्त वर्ष 2024 में बेरोजगारी दर गिरकर 3.2% पर आई। वहीं ईपीएफओ में नेट पेरोल पिछले 6 साल में दोगुना हुआ जो संगठित क्षेत्र में रोजगार का अच्छा संकेत है। एआई का तेजी से हो रहा विकास न केवल ग्लोबल लेबर मार्केट में नए अवसरों का निर्माण कर रहा है, बल्कि महत्वपूर्ण चुनौतियां भी उत्पन्न कर रहा है। एआई के चलते होने वाले बदलाव के विपरीत प्रभावों को कम करने की जरूरत है।
भारत को अगले 20 साल में तेज ग्रोथ के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश की जरूरत है। पिछले 5 साल में सरकार ने फिजिकल, डिजिटल और सोशल इंफ्रास्ट्रक्चर पर फोकस किया है। पब्लिक फंडिंग से अकेले ये जरूरतें पूरी नहीं होंगी, इसलिए प्राइवेट भागीदारी बढ़ानी होगी।
भारतीय बाज़ारों के सामने सबसे बड़ा जोखिम अमेरिका से जुड़ा है। सर्वे में अमेरिकी बाजार में करेक्शन की हाई पॉसिबिलिटी बताई गई है। इसका भारतीय शेयर बाजार पर असर पड़ सकता है, खासकर रिटेल निवेशकों पर।
इसमें इस बात पर भी जोर दिया कि इस ग्रोथ को आगे बढ़ाना भारत के लिए अपनी वर्तमान आर्थिक स्थिति और 2047 तक विकास के स्तर के बीच की खाई को पाटने के लिए भी महत्वपूर्ण है। लेकिन आने वाले वर्षों में भारत के विकास पथ को आकार देने में वैश्विक राजनीतिक और आर्थिक वातावरण महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। अंतर्राष्ट्रीय व्यापार गतिशीलता, भू-राजनीतिक स्थिरता और वैश्विक आर्थिक रुझान जैसे कारक भारत की उच्च विकास दर बनाए रखने की क्षमता पर प्रभाव डालेंगे। खासकर तब जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ में बढ़ोतरी का खतरा मंडरा रहा है। ट्रंप ने भारत को उन देशों में शामिल किया है जहां बहुत टैरिफ है।
ट्रंप ने कनाडा और मेक्सिको से आने वाले सामान पर 25% टैरिफ लगाने की घोषणा की है जो 1 फरवरी से लागू होगा। साथ ही उन्होंने चीनी माल पर भी 60% टैरिफ लगाने की धमकी दी है। इतना ही नहीं अमेरिकी राष्ट्रपति ने ब्रिक्स देशों को धमकी दी है कि अगर उन्होंने अपनी करेंसी बनाने की कोशिश की तो उन पर 100 फीसदी टैक्स लगाया जाएगा। भारत ब्रिक्स का फाउंडिंग मेंबर है। अमेरिका भारत का दूसरा सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर है और उसके साथ ट्रेड सरप्लस की स्थिति में है। ऐसे में ट्रंप का टैरिफ भारत को महंगा पड़ सकता है।