उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय की धजिज्यां उड़ा रही है ओला, नहीं दे रही खाते में पैसा
मुंबई। ओला और उबर से ग्राहक पूरी तरह परेशान हैं। उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के आदेश के बाद भी यह कंपनियां ग्राहकों को उनके विकल्प के मुताबिक, रिफंड नहीं कर रही हैं। जबकि मंत्रालय ने सीधे तौर पर कहा है कि कंपनियों को ग्राहकों के मुताबिक रिफंड करना चाहिए।
उदाहरण के तौर पर एक ग्राहक ने 19 जनवरी को नोएडा से दिल्ली आईजीआई एयरपोर्ट टर्मिनल तीन के लिए ओला से कैब बुकिंग की। पहले तो इसने 378 रुपये किराया दिखाया। बाद में ड्राइवर ने इसे कैंसल कर दिया। फिर जब दूसरी बार ओला ने नए ड्राइवर की डिटेल्स भेजी तो उसमें किराया 480 रुपये हो गया। उस ड्राइवर ने भी कैंसल कर दिया।
इसके बाद ओला ने सर्च कर तीसरे ड्राइवर की डिटेल्स भेजी। इस बार इसने किराया को 570 रुपये कर दिया। यानी 5 मिनट के अंतराल पर ही ओला ने 378 रुपये के किराये को करीब 70 पर्सेंट बढ़ाकर 570 रुपये कर दिया। इसके बाद ग्राहक जब एयरपोर्ट पहुंचा तो उसका कुल बिल 731 रुपये हो गया।
ग्राहक ने ड्राइवर को भुगतान करने के बाद जब ओला एप में इसकी शिकायत की तो 23 जनवरी तक उसे इसका पैसा वापस नहीं आया। 23 जनवरी को ग्राहक ने फिर से जब एप में शिकायत की तब जाकर उसके एप में वाउचर के रूप में 161 रुपये का रिफंड आया। हालांकि, यह रिफंड जारी करने से पहले कंपनी ने एप में किसी भी तरह का कोई विकल्प नहीं दिया।
यही नहीं, ओला और उबर दोनों ग्राहकों को किराये के रूप में जमकर लूट रही हैं। जो किराया 5 मिनट पहले 378 रुपये था, वह बढ़कर 570 रुपये हो गया। यह कंपनियां अलग अलग तरीके से किराया बढाकर लूटती हैं। ओला के जब कस्टमर केयर से संपर्क करने की कोशिश की गई तो उसमें जवाब आया कि शाम 7 बजे के बाद उसका ग्रिवेंसस सेल बंद रहता है। यह बस वर्किंग डे में ही 10 से 7 तक काम करता है।