यूपी के महाकुंभ में 40 करोड़ लोग आएंगे, 2.5 लाख करोड़ रुपये का कारोबार
मुंबई- उत्तर प्रदेश का प्रयागराज विश्व के सबसे बड़े धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन महाकुंभ के लिए तैयार है। महाकुंभ 2025 में उम्मीद जताई जा रही है देश-दुनिया से लगभग 40 करोड़ लोग प्रयागराज की धरती पर आएंगे और इस पावन आयोजन का भागीदार बनेंगे। इसके चलते सरकार ने वहां बुनियादी सहित अन्य सुविधाओं पर भारी निवेश किया है। साथ ही लगभग 45 दिन चलने वाले इस कार्यक्रम का लाभ बिजनेस जगत भी उठाने के लिए तैयार है।
13 जनवरी से 26 फरवरी तक चलने वाले इस महाकुंभ को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार ने पूरी तैयारी कर ली है। बीते दिसंबर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संगम नगरी में 5,500 करोड़ रुपए के कई विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और लोकार्पण किया। उत्तर प्रदेश सरकार के दावे के मुताबिक, महाकुंभ 2025 में 44 दिनों लगभग 40 करोड़ श्रद्धालु प्रयागराज आएंगे।
इस बड़ी संख्या को देखते हुए सरकार ने 4000 हेक्टेयर में मेले के आयोजन का फैसला लिया है जबकि 1800 हेक्टेयर में पार्किंग की व्यवस्था की है। मेला क्षेत्र को 25 अलग-अलग सेक्टर में बांटा गया है और श्रद्धालुओं के निवास के लिए 1.6 लाख टेंट बनाए गए हैं। इसके अलावा संगम में अलग-अलग जगहों पर 30 पीपा पुल का निर्माण किया गया है। प्रयागराज और कुंभ मेले के आसपास के क्षेत्रों में लगभग 400 किलोमीटर अस्थायी सड़कें बनाई गई है और 67,000 से अधिक स्ट्रीट लाइट्स लगाई गई हैं। इसके अलावा प्रयागराज में कुंभ मेले के चलते 14 नए रोड ओवरब्रिज, 61 नई सड़कें और 40 अलग-अलग चौराहों का सौंदर्यीकरण किया गया है।
उत्तर प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड द्वारा दो नए पावर सबस्टेशन बनाए गए हैं और 66 नए ट्रांसफार्मर लगाए हैं। मेले में पानी की आपूर्ति के लिए 1,249 किलोमीटर की पाइपलाइन बिछाई गई है। इसके अलावा डेढ़ लाख से अधिक टॉयलेट और 10,000 सफाईकर्मियों को लगाया गया है।
महाकुंभ के दौरान 13,000 ट्रेनें (3,000 विशेष ट्रेनें सहित) चलाई जाएंगी। साथ ही श्रद्धालुओं के लिए 7,000 से अधिक बसें, जिसमें 200 वातानुकूलित बसें शामिल हैं, और 200 से अधिक चार्टर फ्लाइट नियमित उड़ानों के साथ उपलब्ध होंगी।
भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) के मुताबिक, साल 2013 के महाकुंभ में सरकार को 12,000 करोड़ का राजस्व मिला था। साल 2019 के कुंभ में सरकार को 1.2 लाख करोड़ का राजस्व मिला था। महाकुंभ 2025 में यह राजस्व बढ़कर 2 लाख करोड़ रुपए से 2.5 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच सकता है।
2019 में हुए कुंभ में लगभग 6 लाख लोगों अलग-अलग क्षेत्रों में रोजगार मिला था, जो इस साल डेढ़ गुणा तक बढ़ सकता है। उत्तर प्रदेश टूरिज्म डिपार्टमेंट के मुताबिक, अब तक 45000 परिवारों को इस आयोजन के चलते रोजगार मिल चुका है।
राज्य सरकार ने 2024-25 के बजट में महाकुंभ को लेकर 2,500 करोड़ रुपए आवंटित किए थे, जबकि केंद्र सरकार ने इस आयोजन के लिए 2,100 करोड़ का स्पेशल पैकेज दिया था। अगर पूरे बजट की बात करें तो महाकुंभ के लिए राज्य सरकार, केंद्र सरकार और अन्य विभागों द्वारा अब तक कुल 6,382 करोड़ रुपए अलॉट किए जा चुके हैं। इसमें से लगभग 5,600 करोड़ रुपए इवेंट मैनेजमेंट और इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट पर खर्च किया गया है। साल 2019 के अर्धकुंभ में सरकार ने कुल 3700 करोड़ रुपया खर्च किया था।
45 दिनों के महाकुंभ में संभावित खपत को देखते हुए, कंपनियां ब्रांडिंग और मार्केटिंग पर कम से कम 3,000 करोड़ रुपए खर्च करने की योजना बना रही है। महाकुंभ 2025 छोटे दुकानदारों और कारीगरों के लिए अपने उत्पाद बेचने का एक बड़ा अवसर है।
मेले के दौरान लगभग 4000 करोड़ रुपए के डेयरी उत्पाद, 4000 करोड़ रुपए का किराना सामान, 2000 करोड़ रुपए का किराना सामान और 500 करोड़ के अन्य घरेलू सामान के कारोबार की संभावना है। स्थानीय होटल व्यवसाय और टैक्सी ड्राइवर को भी इस आयोजन से अच्छा खासा फायदा मिलने का संभावना है।