लागत का असर, 10 फीसदी से कम रह सकता है एफएमसीजी कंपनियों का राजस्व

मुंबई- महंगाई और लागत बढ़ने के साथ रोजमर्रा के सामान बनाने वाली कंपनियां यानी एफएमसीजी को तीसरी तिमाही (अक्तूबर-दिसंबर) के दौरान कम बिक्री का सामना करना पड़ सकता है। इससे उनका राजस्व 10 फीसदी से कम रह सकता है। कंपनियों के परिचालन लाभ पर भी असर पड़ने की आशंका है।

कई एफएमसीजी कंपनियों का मानना है कि शहरी मांग घटने से उनके राजस्व पर असर पड़ रहा है। इसका एक कारण यह हो सकता है कि खोपरा, वनस्पति तेल और पाम तेल जैसी वस्तुओं की बढ़ती लागत के कारण कई कंपनियों ने दिसंबर तिमाही में उत्पादों की कीमतों में बढ़ोतरी की है। कीमतों में बढ़ोतरी ऐसे समय में हुई जब उच्च खाद्य महंगाई से खपत कम होने से शहरी बाजार में उनकी बिक्री घट गई। हालांकि, कुल एफएमसीजी बाजार के एक तिहाई से थोड़ा ज्यादा योगदान देने वाला ग्रामीण बाजार अभी भी कंपनियों के लिए बेहतर प्रदर्शन कर रहा है।

पिछले हफ्ते डाबर ने कहा था कि उसका परिचालन लाभ सपाट रह सकता है, क्योंकि उसे कुछ क्षेत्रों में मुद्रास्फीति की बाधाओं का सामना करना पड़ा है। कंपनी ने कहा, दिसंबर तिमाही में एफएमसीजी के लिए ग्रामीण खपत शहरों की तुलना में अच्छी रही। ई-कॉमर्स और क्विक कॉमर्स जैसे वैकल्पिक चैनलों में मजबूत वृद्धि जारी रही, जबकि किराना स्टोर की बिक्री में गिरावट रही।

मैरिको ने कहा, तिमाही के दौरान ग्रामीण खपत में सुधार और शहरी क्षेत्र में कमी के कारण मांग में स्थिरता रही। दिसंबर तिमाही में वृद्धि की उम्मीद है लेकिन क्रमिक आधार पर उच्च लागत के कारण परिचालन लाभ वृद्धि मामूली रह सकती है। ब्रोकिंग फर्म नुवामा के अनुसार, शहरी मंदी दो-तीन तिमाहियों तक जारी रहेगी। ग्रामीण मांग में धीरे-धीरे सुधार जारी है और मुफ्त सुविधाओं व अच्छी बारिश के कारण शहरी मांग की तुलना में अधिक है।

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