अब रुकेगा केवाईसी का दुरुपयोग, सरकार ऐसे करेगी आपके कागजात की सुरक्षा
मुंबई- अपने ग्राहक को जानें यानी केवाईसी। यह एक ऐसा कागजात होता है, जिसकी अमूमन दुरुपयोग की खबरें आती रहती हैं। लेकिन नए साल से अब इस तरह की जालसाजी से सुरक्षा मिलेगी।
सरकार ने लगातार बढ़ रहे केवाईसी डाटा के दुरुपयोग को रोकना चाहती है। इसके लिए सेंट्रल नो योर कस्टमर (सीकेवाईसी) के साथ डाटा की सुरक्षा के संबंध में कई उपाय प्रस्तावित किए हैं। इसमें दो प्रमुख उपाय हैं। पहला केवाईसी पहचानकर्ता विवरण। इसमें पैन, आधार, मतदाता पहचान पत्र, ड्राइविंग लाइसेंस आदि आते हैं। दूसरा यूनिक आईपी एड्रेस। इन दोनों के जरिये आपके सारे विवरण को छुपा कर रखा जाएगा। पहले आपके सारे विवरण कोई भी मध्यस्थ देख या खोज लेता था। अब यह सब समाप्त हो जाएगा।
हालांकि, बैंकों, वित्तीय संस्थानों, अनिवार्य रूप से विनियमित संस्थाओं (आरई) ने सरकार द्वारा इन उपायों को बहुत तेजी से लागू करने पर चिंता व्यक्त की है और समय सीमा बढ़ाने की अपील की है। इसलिए सीकेवाईसी ने केवाईसी पहचानकर्ता दस्तावेजों को छिपाने की समय सीमा 16 दिसंबर, 2024 से बढ़ाकर 20 जनवरी, 2025 कर दी है। इस नई व्यवस्था के तहत केवाईसी जैसे आधार, पैन, मतदाता पहचान पत्र, ड्राइविंग लाइसेंस आदि के अंतिम चार अंक ही संबंधित संस्थान देख पाएगा। बाकी के सारे अंक छुपे रहेंगे।
केंद्रीय केवाईसी ग्राहक रिकॉर्ड रजिस्ट्री (सीकेवाईसीआर) दो तरीकों से ग्राहकों की डाटा सुरक्षा और गोपनीयता में सुधार करने की कोशिश कर रही है। पहली केवाईसी पहचानकर्ताओं को छिपाकर और किसी भी मध्यस्थ को ग्राहक के केवाईसी विवरण तक पहुंचने से रोककर। सीकेवाईसीआर का लक्ष्य जिनके पास केवाईसी की पहुंच है, उनको रजिस्ट्री में संग्रहीत डाटा को अवैध तरीके से डाउनलोडिंग को रोकना है। डाटा सुरक्षा बढ़ाने के लिए केवाईसी पहचानकर्ता अब केवल आरई के लिए उपलब्ध होगा। इसके तहत एक सीकेवाईसी आईडी प्रदान की जाएगी जो प्रत्येक केवाईसी पहचानकर्ता के लिए यूनिक होगी।
ज्यादातर आरई केवाईसी संग्रह से संबंधित कार्य को तीसरी पार्टी को देती हैं। सीकेवाईसी रजिस्ट्रार इस प्रथा को समाप्त कर रहा है। अब आरई को केवाईसी डिटेल्स तक पहुंचने के लिए खुद के आईपी का उपयोग करना होगा। पहले मध्यस्थ आरई की ओर से केवाईसी डाटा तक पहुंचने के लिए अपने आईपी पते का उपयोग कर रहे थे। तब यह जोखिम रहता था कि बिचौलिए केवाईसी विवरण का गलत इस्तेमाल कर सकते हैं। सीकेवाईसीआरआर एपीआई का उपयोग करने वाली प्रत्येक रिपोर्टिंग इकाई को एक यूनिक आईपी पते का उपयोग करना होगा। इसका मतलब यह है कि कोई भी दो रिपोर्टिंग संस्थाएं सीकेवाईसीआरआर एपीआई एक्सेस के लिए एक ही आईपी पता साझा नहीं कर सकती हैं। आरई को यह सुनिश्चित करना होगा कि सीकेवाईसीआरआर से प्राप्त डाटा को पर्याप्त साइबर सुरक्षा जांच, नियंत्रण और डाटा सुरक्षा उपायों के साथ सुरक्षित रूप से संग्रहीत किया जाना चाहिए।

