विकास दर को गति देने के लिए निजी निवेश बढ़ाने की जरूरत-नागेश्वरन

मुंबई- देश की अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष में 6.5-7 फीसदी रह सकती है। मुख्य आर्थिक सलाहकार अनंत नागेश्वरन का कहना है कि दूसरी तिमाही में जीडीपी विकास दर में तेज गिरावट कुछ अस्थाई वजहों से आई होगी। या फिर यह कुछ बड़ी समस्याओं का भी संकेत हो सकता है।

सीआईआई के कार्यक्रम में बृहस्पतिवार को नागेश्वरन ने कहा, हमारी विकास दर तेज रास्ते पर है। लेकिन वैश्विक अनिश्चितताओं की वजह से कुछ चुनौतियां भी सामने आ सकती हैं। आने वाले वर्षों में इनकी वृद्धि दर पर असर हो सकता है। ऐसे में चुनौतियों से निपटने के लिए हमें दोगुनी कोशिश करनी होगी।

उन्होंने कहा, विकास के बगैर हमारे पास क्लाइमेट बदलाव प्रबंधन में निवेश के लिए पैसे नहीं होंगे। हमें एनर्जी ट्रांसमिशन में कई चीजों का ध्यान रखना होगा, ताकि सस्टेनबिलिटी के लिए अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर की कुर्बानी नहीं देनी पड़े। निजी क्षेत्र निवेश बढ़ा रहा है और अर्थव्यवस्था के लिए यह बहुत जरूरी है। फिक्की ने भी 6.5 से 7 फीसदी की विकास दर का अनुमान जताया है।

नागेश्वरन ने कहा, बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए अगले 10-12 वर्षों में सालाना 80 लाख रोजगार पैदा करने की जरूरत है। छोटे और मझोले उद्योगों की चिंता किए बिना अपने आकार को बढ़ाने पर जोर देना चाहिए। इनको बड़ा बनने की कोशिश करनी होगी।

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने का कहना है कि वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद इस वित्त वर्ष के अंत तक आर्थिक वृद्धि पटरी पर आ जाएगी। इस साल भी भारत सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था होगा। पहली तिमाही में चुनाव था और चुनाव के दौरान नीति निर्माण और विकास या बुनियादी ढांचे पर खर्च धीमा हो जाता है।

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