शक्तिकांत दास को नहीं मिला विस्तार, संजय मल्होत्रा होंगे आरबीआई गवर्नर

मुंबई- सरकार ने रेवेन्यू सेक्रेटरी संजय मल्होत्रा को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) का नया गवर्नर नियुक्त किया है। वे RBI के 26वें गवर्नर होंगे और मौजूदा गवर्नर शक्तिकांत दास की जगह लेंगे। दास का कार्यकाल 10 दिसंबर 2024 को पूरा हो रहा है। 11 दिसंबर से मल्होत्रा गवर्नर का पद संभालेंगे।

कैबिनेट ने संजय मल्होत्रा के अपॉइंटमेंट को मंजूरी दी है।शक्तिकांत दास 12 दिसंबर 2018 को गवर्नर बनाए गए थे। उनके कार्यकाल को बाद में तीन साल के लिए एक्सटेंड किया गया था। उन्होंने उर्जित पटेल की जगह ली थी।

नए गवर्नर ऐसे समय कार्यभार संभाल रहे हैं जब केंद्रीय बैंक मुश्किल स्थिति में है। RBI पर ब्याज दरों में कटौती करने का दबाव बढ़ रहा है क्योंकि जुलाई-सितंबर की अवधि में विकास दर सात-तिमाही के निचले स्तर 5.4% पर आ गया है। दास के टेन्योर में RBI ने महंगाई के रिस्क का हवाला देते हुए लगभग दो वर्षों तक ब्याज दरों को अपरिवर्तित रखा।

राजस्थान कैडर के 1990 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) अधिकारी संजय मल्होत्रा ​​के पास भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) कानपुर से कंप्यूटर साइंस में इंजीनियरिंग की डिग्री और प्रिंसटन यूनिवर्सिटी, यूएसए से पब्लिक पॉलिसी में मास्टर डिग्री है।

मल्होत्रा ​​ने पावर, फाइनेंस और टैक्सेशन, इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी और माइन्स सहित विभिन्न क्षेत्रों में काम किया है। उनका 33 साल से ज्यादा का एक्सपीरियंस है। वित्त मंत्रालय में सेक्रेटरी (रेवेन्यू) के रूप में सर्व करने से पहले उन्होंने भारत सरकार के वित्त मंत्रालय के तहत वित्तीय सेवा विभाग में सचिव का पद संभाला था। मल्होत्रा ​​के पास राज्य और केंद्र सरकार दोनों स्तरों पर फाइनेंस और टैक्सेशन में एक्सपर्टाइज है।

फाइनेंस के मामलों में मल्होत्रा को सुधारवादी और मजबूत काम करने वाले अफसरों में गिना जाता है। उन्हें राजस्थान के लगभग सभी विभागों में काम करने का अनुभव है। वे राजस्थान के रहने वाले हैं। मल्होत्रा को पीएम नरेंद्र मोदी के पसंदीदा अफसरों में गिना जाता है।

मल्होत्रा किसी भी मुद्दे पर काम करने से पहले उस पर जमकर रिसर्च करते हैं। वे पार्क में घूमते और वॉक करते समय भी इंटरनेट से कुछ न कुछ खंगालते, सुनते, देखते रहते हैं। जब सीएम के सामने कोई प्रेजेंटेशन देते हैं तो उस रिसर्च के हवाले से ही देते हैं। ऐसे में उनकी बात और विचार का गहरा असर हर मीटिंग में देखा जाता है।

शक्तिकांत दास 1980 बैच के IAS अधिकारी हैं। वे तमिलनाडु कैडर के अधिकारी हैं। 2017 मई तक वे इकोनॉमिक अफेयर्स के सेक्रेटरी थे। वे देश के 25वें गवर्नर बने थे। नवंबर 2016 में जब नोटबंदी हुई थी, तब भी दास ही मुख्य मोर्चे पर थे।

दास विभिन्न पदों पर रहे हैं। दास ने 15वें फाइनेंस कमीशन में भी सदस्य के रूप में काम किया था। दास ने भारत की ओर से ब्रिक्स, इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड और सार्क में प्रतिनिधित्व किया है। वे दिल्ली के स्टीफन कॉलेज से पोस्ट ग्रेजुएट हैं।

मल्होत्रा ने राजस्व सचिव की भूमिका निभाने के दौरान कई महत्त्वपूर्ण फैसले लिए थे। इस क्रम में इस साल के बजट में पूंजीगत लाभ कर को युक्तिसंगत बनाना, नई कर व्यवस्था अपनाने को प्रोत्साहित करने के लिए कर स्लैब को युक्तिसंगत बनाना और अप्रत्याशित लाभ कर को हटाना प्रमुख फैसले हैं। अप्रत्याशित कर लाभ हटाने से तेल शोधन उद्योग को खासी राहत मिली है।

इस दौरान मल्होत्रा ने विदेश में नियुक्ति के दौरान उपसचिव पद पर संयुक्त राष्ट्र के औद्योगिक विकास संगठन (यूएनआईडीओ) के परियोजना समन्वयक के रूप में कार्य किया। उन्होंने वर्ष 2000 से 2003 के दौरान अंतरिक्ष और एमएसएमई राज्य मंत्री के निजी सचिव के रूप में कार्य किया।

मल्होत्रा ने कानपुर स्थित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) से कंप्यूटर साइंस में डिग्री हासिल की है। उन्होंने अमेरिका की प्रिंसटन यूनिवर्सिटी से पब्लिक पॉलिसी में परास्नातक किया है। राजस्व सचिव ने अपने हालिया सार्वजनिक संबोधनों में से एक 4 दिसंबर को राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई) के अधिकारियों को चेतावनी दी थी कि ‘सोने के अंडे देने वाली मुर्गी को ही मारने की कोशिश न करें’। उन्होंने वाणिज्यिक धोखाधड़ी के मामले में भारी कर नोटिस जारी करने से पहले अर्थव्यवस्था का ध्यान रखने की हिदायत दी थी।

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