ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में भारतीय एफडीआई और रुपये पर हो सकता है असर

मुंबई- अमेरिका के राष्ट्रपति के रूप में डोनाल्ड ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में भारत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के रुझान में बदलाव देख सकता है। पहले कार्यकाल में ट्रंप प्रशासन ने अमेरिका में निवेश को आकर्षित करने के उद्देश्य से नियामक परिवर्तन किए थे। इससे भारत सहित वैश्विक स्तर पर एफडीआई प्रवाह प्रभावित हुआ।

एसबीआई ने सोमवार को रिपोर्ट जारी की है। इसमें कहा गया है कि अगर ट्रंप 2.0 में भी ऐसी नीतियों को फिर से पेश किया जाता है, तो यह भारत जैसे उभरते बाजारों के लिए चुनौतियां पैदा कर सकता है। ये बाजार आर्थिक विकास के महत्वपूर्ण चालक के रूप में एफडीआई पर निर्भर हैं। हालाँकि, भारत एफडीआई स्रोतों में विविधता ला रहा है। यह किसी भी संभावित गिरावट के खिलाफ बफर के रूप में काम कर सकता है।

रिपोर्ट के अनुसार, भारत अब एफडीआई प्रवाह के पारंपरिक स्रोतों पर निर्भर नहीं है। एफडीआई अब कई नए क्षेत्रों में आ रहा है। एक दशक पहले अधिकांश एफडीआई प्रवाह पारंपरिक क्षेत्रों से आता था। भारत अब नवीकरणीय ऊर्जा, समुद्री परिवहन, चिकित्सा उपकरणों और सर्जिकल उपकरणों सहित ज्यादा उद्योगों में निवेश आकर्षित कर रहा है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि 12 उभरते हुए क्षेत्र हैं। ये एफडीआई में मजबूत रुचि दिखा रहे हैं। ये क्षेत्र ट्रंप प्रशासन के तहत वैश्विक निवेश पैटर्न में बदलाव होने पर पारंपरिक क्षेत्रों में निवेश के किसी भी नुकसान की भरपाई करने में मदद कर सकता है।

निकट समय में अमेरिकी टैरिफ में वृद्धि, एच-1बी वीजा नीतियों और मजबूत डॉलर की संभावना भारत के व्यापार और निवेश परिदृश्य में कुछ अस्थिरता ला सकती है। ट्रंप के पहले कार्यकाल के दौरान लगाए गए टैरिफ के बावजूद भारत ने अमेरिका के साथ सरप्लस व्यापार किया। इससे पता चलता है कि भारतीय निर्यात लचीला बना हुआ है।

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