हीरा अब नहीं रहा हीरा, फीकी पड़ी चमक, 40 पर्सेंट तक घट गए दो साल में दाम

मुंबई- कभी शान से चमकने वाले हीरे की चमक अब फीकी पड़ती जा रही है। इसकी कीमत पिछले कुछ सालों से लगातार गिर रही है। बीते दो वर्षों में इसमें 40 फीसदी तक की गिरावट आई है।

हीरे की कीमत सितंबर में 4.2 फीसदी तक गिर गई। जानकारों के मुताबिक पिछले दो साल में इसमें 35 से 40 फीसदी तक की गिरावट आई है। दो साल पहले एक लाख में मिलने वाले हीरे की कीमत अब गिरकर 60 से 75 हजार रुपये ही रह गई हैं।

हीरे की कीमत कम होने के कई कारण सामने आए हैं। इसमें सबसे पहला कारण है कि लोग इसे अब सुरक्षित निवेश नहीं मानते हैं। सुरक्षित निवेश के मामले में सोना काफी आगे निकल गया है। वहीं रूस-यूक्रेन और इजराइल-ईरान युद्ध के कारण भी लोग निवेश के लिए डायमंड की जगह सोने को तवज्जो दे रहे हैं।

हीरे की रीसेल वैल्यू बहुत कम होती है। ऐसे में इसे निवेश के तौर पर रखना घाटे का सौदा माना जाता है। इस कारण भी लोग इसे खरीदने से बच रहे हैं। इसके अलावा अमेरिका और यूरोप समेत कई देश अभी आर्थिक मंदी का सामना कर रहे हैं। जिससे इन देशों में भी हीरे की मांग में कमी आई है।

हीरे की बिक्री कम होने के कारण इसकी मैन्युफैक्चरिंग में भी गिरावट आई है। अगस्त में पिछले एक साल के मुकाबले इसकी मैन्युफैक्चरिंग में 47 फीसदी की गिरावट आई है। यह 642.3 मिलियन डॉलर रह गया। देश में हीरे का करोबार सबसे ज्यादा गुजरात के सूरत में होता है। यहां हीरे की कटाई और पॉलिश का काम होता है। सूरत की इन फैक्टरियों में करीब 15 लाख लोग काम करते हैं। मंदी के कारण यहां काम करने वाले लोगों को घर चलाने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

जानकारों के मुताबिक अभी दुनिया के जो हालात हैं, उस कारण हीरे के कारोबार में मंदी है। आने वाले समय में इसमें बढ़त देखी जा सकती है। जानकार बताते हैं कि भारत से कुल डायमंड का 30 से 40 फीसदी निर्यात अकेले अमेरिका को होता है। अमेरिका अभी मंदी के दौर से गुजर रहा है।

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