खुदरा महंगाई 5 साल बाद 4 पर्सेंट से नीचे, आरबीआई घटा सकता है रेपो दर

मुंबई- अर्थव्‍यवस्‍था के मोर्च पर दो सुखद आंकड़े आए हैं। खुदरा महंगाई दर जुलाई में घटकर 3.54 फीसदी पर आ गई। जून में यह 5.08 फीसदी थी। वहीं, देश का औद्योगिक उत्पादन अप्रैल-जून तिमाही में 5.2 फीसदी बढ़ा। एक साल पहले इसी तिमाही में इसमें 4.7 फीसदी की ग्रोथ हुई थी। सरकारी आंकड़ों में यह जानकारी दी गई है।

यह पहली बार है जब खुदरा महंगाई आरबीआई के तय दायरे 4 पर्सेंट से नीचे आ गई है। इसके बाद यह उम्मीद है कि आरबीआई अक्तूबर में दरों में कटौती कर सकता है। आरबीआई लगातार महंगाई को कम कर विकास को प्राथमिकता दे रहा है और अब उसके उपाय काम कर रहे हैं, जिससे महंगाई चार पर्सेंट से नीचे आ गई है।

खाद्य वस्तुओं की कीमतों में नरमी से खुदरा महंगाई दर जुलाई में घटकर 3.54 फीसदी पर आई। करीब पांच साल में यह पहला मौका है जब खुदरा महंगाई दर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के चार फीसदी के टारगेट से नीचे आई है। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित खुदरा महंगाई दर इस साल जून में 5.08 फीसदी थी। जबकि बीते साल जुलाई में यह 7.44 फीसदी थी।

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) के आंकड़ों के अनुसार, खाद्य वस्तुओं की महंगाई जुलाई में 5.42 फीसदी रही। यह जून में 9.36 फीसदी थी। इससे पहले खुदरा महंगाई दर सितंबर, 2019 में चार फीसदी के नीचे रही थी।

सरकार ने रिजर्व बैंक को खुदरा महंगाई दर को दो फीसदी घट-बढ़ के साथ चार फीसदी रखने की जिम्मेदारी दी हुई है। खुदरा महंगाई की दर में नरमी के बाद आरबीआई की अगली नीतिगत बैठक में ब्याज दरों में कमी के बारे में फैसला लिया जा सकता है। नीतिगत ब्‍याज दरों बदलाव करते वक्‍त केंद्रीय बैंक खुदरा महंगाई दर को जरूर ध्‍यान में रखता

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