बढ़ती दिव्यांगता को देखते हुए बीमा कंपनियां ला रहीं नई पॉलिसी, मिलेगी मदद

मुंबई- बड़ी संख्या में दिव्यांगता के कारण लोगों को वित्तीय कठिनाई का सामना करना पड़ता है। वित्तीय सुरक्षा में इस महत्वपूर्ण अंतर को पहचानते हुए बीमा कंपनियां अब नए सॉल्यूशन लाने पर जोर दे रही हैं। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की 2018 की रिपोर्ट से पता चला है कि भारत में दुनिया के केवल एक फीसदी वाहन होने के बावजूद सभी सड़क दुर्घटनाओं में इसका योगदान 6 फीसदी का होता है।

विशेषज्ञों के अनुसार, देश में हर साल लगभग 5 से 7 लाख लोग दुर्घटनाओं और गंभीर बीमारियों के कारण अस्थायी या स्थायी विकलांगता से पीड़ित होते हैं। ये काम करने और आजीविका कमाने में सक्षम नहीं होते हैं। फ्यूचर जेनराली इंडिया इंश्योरेंस के मुख्य वितरण अधिकारी रमित गोयल ने कहा, विकलांगता की शुरुआत अक्सर स्वास्थ्य देखभाल पर काफी खर्च लाती है। इससे सामाजिक और वित्तीय मोर्चे पर बीमा की जरूरत महत्वपूर्ण हो जाती है।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान (एनआईएच) की वेबसाइट पर उपलब्ध अध्ययन से पता चलता है कि घर के मासिक खर्च का लगभग पांचवां हिस्सा विकलांगता पर खर्च हो रहा है। आधे से अधिक (57.1 फीसदी) परिवारों को एक सदस्य के विकलांग होने के कारण स्वास्थ्य पर भारी खर्च करना होता है। 19.1 फीसदी लोग ऐसे हैं जिनके परिवार में एक सदस्य के विकलांग होने के इलाज से वे गरीबी रेखा के नीचे चले गए हैं।

बीमा कंपनियां स्वास्थ्य बीमा के तहत ऐसे लोगों को सुरक्षा प्रदान कर रही हैं। शारीरिक या मानसिक बीमारियों, दुर्घटनाओं और अप्रत्याशित घटनाओं से उत्पन्न होने वाली अस्थायी और स्थायी दोनों तरह की विकलांगताओं को अब बीमा में कवर किया जा रहा है। इस तरह की योजनाओं का प्रीमियम किश्तों में या क्रेडिट कार्ड से भी दिया जा सकता है।

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