15 साल पुराने वाहनों के स्क्रैप को नहीं मिल रहा रिस्पांस, बढ़ सकती है दिक्कत

मुंबई- 15 साल पुराने वाहनों को सड़कों से हटाने की योजना को अच्छा रिस्पांस नहीं मिल रहा है। हर महीने केवल 4,000-5,000 गाड़ियां ही स्क्रैप के लिए पूरे देश भर में आ रही हैं। ऐसे में 9 लाख गाड़ियों को स्क्रैप करने का लक्ष्य केंद्र सरकार का लंबा खिंच सकता है। पिछले साल केंद्र सरकार ने 9 लाख पुराने वाहनों को स्क्रैप में भेजने के लिए मंजूरी दी थी।

उद्योग के मुताबिक, देशभर में पंजीकृत व्हीकल स्क्रैप फैसिलिटी (आरवीएसएफ) में सालाना 40,000-50,000 वाहन आ रहे हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि नीतियां पूरे देश में एक समान नहीं है। रोसमारटा टेक्नोलॉजी के प्रेसिडेंट कार्तिक नागपाल कहते हैं कि उदाहरण के तौर पर दिल्ली में 10-15 साल के वाहनों को स्क्रैप करना है। जबकि राजस्थान या किसी और राज्य में यह 15 साल से ज्यादा है। ऐसे में दिल्ली के वाहन उन राज्यों ले जाकर बेच दिए जाते हैं।

उनके मुताबिक, सरकार को वाहनों के स्क्रैप के लिए के समान नीति और प्रोत्साहन तैयार करना चाहिए। साथ ही असंगठित स्क्रैप सुविधाओं को बंद करना चाहिए। फिलहाल संगठित स्क्रैप सुविधाओं के पास केवल 10 फीसदी ही वाहन आते हैं। असंगठित के पास 90 फीसदी वाहन जा रहे हैं। कारण यह है कि संगठित कंपनियां ग्राहकों को पुराने वाहनों का जो कीमत देती हैं, उसकी तुलना में असंगठित क्षेत्र में ज्यादा पैसा मिलता है।

उद्योग के अधिकारियों के मुताबिक, असंगठित क्षेत्र न तो कोई जीएसटी भरता है न कोई टैक्स। वे पूरी तरह से नकदी पर कारोबार कर रहे हैं। नागपाल के अनुसार, वित्त वर्ष 2026 तक कुल 9 लाख वाहनों को स्क्रैप करना है। लेकिन यह एक बहुत बड़ी चुनौती है और यह पूरा होना मुश्किल है। तब तक अगर 4-5 लाख वाहन भी स्क्रैप हो जाते हैं तो भी यह एक बड़ी उपलब्धि होगी।

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