एफएंडओ में खुदरा निवेशकों को बचाने के लिए सेबी ने बताए सात उपाय

मुंबई। फ्यूचर एंड ऑप्शन (एफएंडओ) में लगातार खुदरा निवेशकों की डूब रही रकम की चिंता के बीच सेबी ने अब उनको सुरक्षा देने के लिए कदम उठाया है। इसके तहत एक्सचेंजों को सात उपाय करने होंगे, जिससे खुदरा निवेशकों को बचाया जा सके। सेबी के अनुसार, वित्त वर्ष 2024 में 92.5 लाख खुदरा निवेशकों और प्रोपराइटरशिप फर्मों को 51,689 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था।

मौजूदा स्ट्राइक प्राइस परिचय पद्धति को तर्कसंगत बनाया जाए। स्ट्राइक अंतराल प्रचलित सूचकांक मूल्य (मौजूदा कीमत के आसपास 4%) के करीब एक समान होना चाहिएॉ। स्ट्राइक प्रचलित मूल्य (लगभग 4% से 8%) से दूर जाने पर अंतराल बढ़ना चाहिए।

अनुचित इंट्राडे से बचने और अंतिम ग्राहक स्तर पर कोलैटरल से आगे किसी भी पोजीशन की परंपरा को हतोत्साहित करने के लिए ऑप्शन खरीदार से अग्रिम रूप से ऑप्शन प्रीमियम लेना अनिवार्य करना होगा।

अन्य गैर समाप्ति दिनों की तुलना में एक्सपायरी डे पर वॉल्यूम में अंतर और उसके साथ तरलता जोखिम को देखते हुए कैलेंडर स्प्रेड स्थिति के लिए मार्जिन लाभ उन स्थितियों के लिए प्रदान नहीं किया जाएगा जिनमें कोई भी कांट्रैक्ट उसी दिन समाप्त हो रहा हो।

इंडेक्स डेरिवेटिव अनुबंधों के लिए पोजीशन लिमिट्स की निगरानी इंट्राडे आधार पर क्लीयरिंग कॉरपोरेशन/स्टॉक एक्सचेंजों द्वारा की जाएगी। उचित निर्धारण के साथ और संबंधित टेक्नोलॉजी बदलाव की जरूरत को देखते हुए पूर्ण कार्यान्वयन के लिए एक आसान रास्ता तय किया जाएगा।

डेरिवेटिव्ज कांट्रैक्ट का मूल्य पहले चरण में 5 लाख से बढ़ाकर 10 लाख और 15 लाख से बढ़ाकर 20 लाख रुपये करना चाहिए। दूसरे चरण में इसे 20 से बढ़ाकर 30 लाख रुपये करना चाहिए।

सप्ताह के सभी पांच कारोबारी दिनों में साप्ताहिक अनुबंधों की समाप्ति होती है। ऐसे में किसी एक्सचेंज के सिंगल बेंचमार्क सूचकांक पर साप्ताहिक ऑप्शन कांट्रैक्ट दिए जाने चाहिए।

सेबी ने कहा कि समाप्ति के करीब ऑप्शन अनुबंधों में उच्च जोखिम से निपटने के लिए ऑप्शन में काम करने वाली संस्थाओं के लिए अनुमानित आधार पर भारी हानि मार्जिन (ईएलएम) को 3 से 5 फीसदी तक बढ़ाया जाना चाहिए।

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