सात सालों में 10 लाख करोड़ रुपये होगा देश के खाद्य सेवाओं का बाजार
मुंबई- आने वाले समय में भारतीयों का बाहर खाने और ऑर्डर करने का शौक ज्यादा तेजी से बढ़ने की उम्मीद है। इस वजह से देश में खाद्य सेवाओं का बाजार तेजी से बढ़ेगा। अनुमान है कि 2030 तक यह बढ़कर 10 लाख करोड़ रुपये का हो सकता है। रिपोर्ट के अनुसार, इस दौरान ग्राहकों की संख्या बढ़कर 45 करोड़ तक हो सकती है। अभी यह 32-34 करोड़ के बीच है। यानी इसमें 11 करोड़ की वृद्धि होने का अनुमान है।
बेन एंड कंपनी की बुधवार को जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि ऑनलाइन फूड डिलीवरी सेगमेंट के 18 फीसदी चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) की दर से बढ़ने का अनुमान है। 2023 में यह सेगमेंट 12 फीसदी से बढ़कर 2030 तक 20 फीसदी हो सकता है। पूरे खाद्य सेवाओं की तुलना में ऑनलाइन फूड डिलीवरी में 2.8 गुना वृद्धि देखी गई है।
बाहर खाना और ऑर्डर के साथ भारत में खाद्य सेवा बाजार अभी 5.5 लाख करोड़ रुपये का है। अगले सात वर्षों में सालाना 10-12 प्रतिशत की दर से बढ़ने की ओर अग्रसर है। उच्च आय, डिजिटलीकरण, बेहतर ग्राहक अनुभव और नए अनुभवों को आजमाने के रुझान ने इस वृद्धि में योगदान दिया है। इस उछाल को तेजी से शहरीकरण सहित व्यापक आर्थिक स्थितियों से भी मदद मिलेगी।
पिछले एक दशक में भारत के खाद्य सेवा बाजार में महत्वपूर्ण बदलाव हुए हैं। इसमें फास्टफूड चेन के उदय से लेकर ऑनलाइन फूड डिलीवरी प्लेटफॉर्म तक शामिल हैं। हालांकि, अभी भी भारत में हर माह बाहर खाने की लोगों की आदत केवल पांच बार है। लेकिन बढ़ती आय के कारण इसमें आगे और उछाल आ सकता है।
रिपोर्ट के अनुसार, 2023 तक खाद्य सेवाओं की लगभग 70 प्रतिशत खपत शीर्ष 50 शहरों और उच्च-मध्यम व उच्च-आय क्षेत्रों में रही है। आगे मध्यम अवधि में इसकी मांग तेज रहने की उम्मीद है। हालांकि, दूसरे स्तर और उससे आगे के शहरों से भी अच्छी मांग आने की संभावना है। यह वृद्धि कोविड महामारी के कारण तेज हो गई। अमेरिका और चीन जैसे बाजारों की तुलना में भारत में जागरुकता की दर दोगुनी है। फिर भी विकास की महत्वपूर्ण संभावनाएं बनी हुई हैं। चीन में भारत की तुलना में हर 10 लाख शहरी आबादी पर रेस्तरां की संख्या चार गुना है।