वैश्विक वृद्धि में 17 फीसदी योगदान देगा भारत, अर्थव्यवस्था का अच्छा प्रदर्शन
मुंबई- अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी आईएमएफ ने चुनावी वर्ष में राजकोषीय अनुशासन बनाए रखने के लिए भारत की सराहना की है। इसने कहा, अर्थव्यवस्था अच्छा प्रदर्शन कर रही है। इसकी 6.8 प्रतिशत की वृद्धि बहुत अच्छी है। आईएमएफ में एशिया व प्रशांत विभाग के निदेशक कृष्णा श्रीनिवासन ने कहा, भारत वैश्विक वृद्धि में 17 फीसदी का योगदान करेगा।
श्रीनिवासन ने कहा, महंगाई कम हो रही है। यह सुनिश्चित करना होगा कि महंगाई को तय लक्ष्य तक लाया जाए। राजकोषीय अनुशासन बनाए रखना खासकर चुनावी वर्ष में महत्वपूर्ण बात है, क्योंकि देश चुनावी वर्ष में साहसिक कार्य शुरू करते हैं। आखिरकार ठोस मैक्रो फंडामेंटल ही वह आधार है, जिसके आधार पर देश समृद्ध होते हैं और टिकाऊ वृद्धि करते हैं। इसे बनाए रखना बेहद महत्वपूर्ण है।
श्रीनिवासन के मुताबिक, भारत ने कई वर्षों में कई झटकों को झेला है। उससे सफलतापूर्वक पार पाया है। यह सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख जीडीपी में से एक बनकर उभर रहा है। चालू वित्त वर्ष में निजी खपत और सरकारी निवेश के नेतृत्व में 6.8 प्रतिशत की वृद्धि दर का अनुमान। महंगाई कम हो रही है। यह अब पांच फीसदी से नीचे है।
श्रीनिवासन ने कहा, हमारा मानना है कि भारत बेहतरीन स्थान है। विदेशी मुद्रा भंडार की स्थिति मजबूत है। यदि आप समग्र मैक्रो फंडामेंटल को देखें, तो यह अच्छा है। अर्थव्यवस्था के जोखिम मोटे तौर पर संतुलित हैं।
श्रीनिवासन के अनुसार, जब मैं कहता हूं कि निजी खपत मजबूत हो सकती है तो ऊपर की ओर जोखिम भी हैं। भारत में पूंजी निवेश में निजी सेक्टर ज्यादा खर्च कर सकता है। दूसरा चालक डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (डीपीआई) है। डीपीआई जो करता है वह प्रतिस्पर्धा और इनोवेशन को बढ़ावा देकर उत्पादकता बढ़ाता है। यह वित्तीय समावेशन को भी बढ़ावा देता है और सरकारी क्षेत्र को और अधिक कुशल बनाता है।
भारत में युवा आबादी है। हर साल श्रम बल में 1.5 करोड़ लोगों के जुड़ने की संभावना है। इन्हें अच्छी तरह से कुशल होना होगा। जब युवा आबादी और जनसांख्यिकीय लाभांश से लाभ की बात होती है तो मध्यम अवधि में आगे बढ़ने के लिए बहुत सुधारों की जरूरत होगी। शिक्षा व स्वास्थ्य में बहुत अधिक निवेश करना होगा।
आर्थिक मामलों के सचिव अजय सेठ ने विश्व बैंक कमिटी के सदस्यों को बताया है कि 2022 में वास्तविक समय में लेनदेन में 46 फीसदी के साथ भारत शीर्ष पर है। इस साल मार्च में मासिक लेनदेन 13.44 अरब हुआ और कुल राशि 19.78 लाख करोड़ रुपये थी। यूपीआई ऑनलाइन लेनदेन का व़ॉल्यूम दिसंबर तिमाही में सालाना आधार पर 54 फीसदी बढ़ा है। आज यह बढ़ी हुई मोबाइल कनेक्टिविटी और बैंक खातों के साथ इसका जुड़ाव भारत की समावेशी आर्थिक विकास की कहानी का एक अभिन्न अंग बन गया है। इसमें ग्राहक, छोटे व्यापारी और समाज के सबसे निचले स्तर की कमजोर आबादी प्रमुख लाभार्थी हैं।
आरबीआई ने कहा है कि वर्तमान नीति का रुख सही है। लेकिन आगे चलकर हमें खाद्य महंगाई से सावधान रहने की जरूरत है। इस महीने एमपीसी की बैठक का ब्योरा जारी करते हुए केंद्रीय बैंक ने कहा,अवस्फीति प्रक्रिया को बाधित करने वाली बाहरी आकस्मिकताओं जैसे कारकों से सावधान रहने की जरूरत है। हाल में कमी के बावजूद लगातार ऊंची बने रहने वाली महंगाई दर पर एमपीसी ने चिंता जताई है। स्पष्ट जोखिम सामने आने तक मुद्रास्फीति पर दबाव बनाए रखने की जरूरत पर जोर दिया। एमपीसी के पांच सदस्यों ने रेपो दर को यथावत रखने पर वोट किया था।