इक्विटी स्कीम के तहत सेबी ने फ्लैक्सी कैप फंड की नई कैटेगरी लांच किया
मुंबई– मार्केट रेगुलेटर भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) ने म्यूचुअल फंड में एक नई कैटेगरी को लांच किया है। यह कैटेगरी फ्लैक्सी कैप के नाम से होगी। जैसा कि नाम से ही पता है, सेबी म्यूचुअल फंड में और फ्लैक्सिबिलिटी देना चाहता है। बता दें कि सेबी ने साल 2017 अक्टूबर में म्यूचुअल फंड स्कीम के लिए कैटेग्राइजेशन और रेशनलाइजेशन की गाइडलाइंस जारी की थी। इसी आधार पर उसने कई नई कैटेगरी को लांच किया था। अब सेबी ने म्यूचुअल फंड एडवाइजरी कमिटी की सलाह को मानते हुए एक नई कैटेगरी फ्लैक्सी कैप फंड को लांच किया है।
फ्लैक्सी कैप फंड इक्विटी स्कीम के तहत होगी। इसके तहत इक्विटी और इक्विटी से संबंधित संसाधनों में कुल असेट्स का 65 पर्सेंट निवेश किया जा सकता है। यह एक ओपन एंडेड डायनॉमिक इक्विटी स्कीम होगी जो सभी लॉर्ज कैप, मिड कैप और स्माल कैप के शेयरों में निवेश करेगी। निवेशक इसे आसानी से पहचान सकें, इसके लिए सेबी ने स्कीम का नाम स्कीम की कैटेगरी पर ही रखने का आदेश म्यूचुअल फंड को दिया है। म्यूचुअल फंड के पास यह विकल्प होगा कि वे अपनी वर्तमान स्कीम को फ्लैक्सी कैप फंड में बदल सकें। साथ ही म्यूचुअल फंड चाहें तो अब इसके तहत नई स्कीम लांच भी कर सकते हैं।
इससे पहले गुरुवार को सेबी ने म्यूचुअल फंड में ओवरसीज इन्वेस्टमेंट की लिमिट बढ़ा दी थी। इंडिविजुअल फंड हाउस के लिए यह लिमिट अब 30 करोड़ डॉलर से बढ़कर 60 करोड़ डॉलर हो गई है। इसके अलावा घरेलू म्यूचुअल फंड द्वारा ओवरसीज ईटीएफ (ETF) में भी निवेश की सीमा 5 करोड़ डॉलर से बढ़ाकर 20 करोड़ डॉलर कर दी गई है। सेबी ने कहा कि जो म्यूचुअल फंड हाउस विदेशी निवेश से जुड़ी नई स्कीम या ईटीएफ पेश करने का विचार कर रहे हैं, उन्हें सुनिश्चित कर लेना चाहिए कि स्कीम दस्तावेजों में उनके द्वारा निवेश की गई राशि भी बताई जाना चाहिए। एनएफओ की अंतिम तारीख से छह महीने तक इन दस्तावेजों की मान्यता होती है।
सेबी ने कहा कि इसके बाद म्यूचुअल फंड्स के पास विदेश बाजारों की सिक्योरिटीज या ईटीएफ में अनुपयोगी सीमा की शेष राशि का निवेश करने का अवसर नहीं होगा। विदेशी बाजार या ईटीएफ में निवेश करने वाली या अनुमति प्राप्त कर चुकी स्कीम्स तीन महीने के औसत एसेट अंडर मैनेजमेंट (एयूएम) का 20 फीसदी तक का निवेश विदेशी बाजार में कर सकते हैं।