केसीसी कर्ज पर आरबीआई पहल से किसानों को छह फीसदी की हो रही बचत
मुंबई- बाधारहित कर्ज देने की आरबीआई की पहल से किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) ऋण लेने वाले किसानों को छह फीसदी की बचत हो रही है। जबकि बैंकों को ग्राहक अधिग्रहण की लागत में 70 फीसदी की कमी आई है। आरबीआई ने कहा, सार्वजनिक टेक प्लेटफॉर्म के लॉन्च से किसान और बैंक दोनों को मदद मिल रही है।
आरबीआई के कार्यकारी निदेशक अजय कुमार चौधरी ने एक कार्यक्रम में कहा, अप्रैल में इसे पायलट प्रोजेक्ट के रूप में तमिलनाडु और मध्यप्रदेश में शुरू किया गया था। 17 अगस्त से इसे चार और राज्यों महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक और गुजरात (डेयरी किसानों के लिए) में शुरू किया गया। इस प्लेटफॉर्म को आरबीआई के इनोवेशन हब की ओर से विकसित किया गया है।
इस पायलट योजना की शुरुआत सभी डिजिटल केसीसी (किसान क्रेडिट कार्ड) को कर्ज देने से की गई। चौधरी ने कहा, इसके अलावा, समय की भारी बचत हुई है। पहले एक किसान को बैंक में छह से आठ साप्ताहिक चक्कर लगाने पड़ते थे। यह अब घटकर अधिकतम शून्य मिनट हो गया है। इससे बैंकों द्वारा उधारकर्ताओं से वसूले जाने वाले पारंपरिक शुल्क भी कम हो गए हैं, क्योंकि सभी दस्तावेज डिजिटल रूप से उपलब्ध होने से कर्ज देने के इस मॉडल के साथ ग्राहक अधिग्रहण में प्रभावी रूप से कोई लागत नहीं आती है।
आरबीआई के इस प्लेटफॉर्म से कर्जदाताओं को जरूरी जानकारी मिलती है। इससे बाधा रहित कर्ज वितरण में मदद मिलेगी। 17 अप्रैल को आरबीआई ने मध्य प्रदेश और तमिलनाडु में प्रति उधारकर्ता 1.6 लाख रुपये तक के किसान क्रेडिट कार्ड ऋण, डेयरी ऋण, बिना गारंटी के एमएसएमई ऋण, व्यक्तिगत ऋण और होम लोन जैसे शुद्ध खुदरा उत्पादों के लिए पायलट परियोजना शुरू की थी। इस प्लेटफॉर्म से केवल केवाईसी सत्यापन के बाद ही कर्ज मिल जाता है। पायलट प्रोजेक्ट पर मिले अनुभव के आधार पर इसके दायरे का और विस्तार किया जाएगा।