भारत में हर 15 सेकेंड में बिकेगी एक एसी, जानिए क्या है इसका कारण 

मुंबई- अल नीनो चार साल में एक बार आता है। लेकिन देश में हर साल भारी गर्मी पड़ रही है। माना जा रहा है कि साल 2030 तक लू के कारण देश में 16 से 20 करोड़ प्रभावित हो सकते हैं। वर्ष 2037 तक देश में एसी, रेफ्रिजरेटर और कोल्ड चेन्स जैसे कूलिंग प्रॉडक्ट्स की डिमांड अभी के मुकाबले आठ गुना बढ़ सकती है। यानी तब हर 15 सेकेंड में एक नए एसी की डिमांड होगी।  

माना जा रहा है कि साल 2040 तक देश में कूलिंग प्रॉडक्ट्स का मार्केट 1.6 लाख करोड़ डॉलर तक पहुंच सकता है। भारत सरकार इस अवसर को भुनाने के लिए एक सस्टेनेबल कूलिंग इंडस्ट्री बनाने पर विचार कर रही है। 

साल 2019 में सरकार ने इंडिया कूलिंग एक्शन प्लान (ICAP) लॉन्च किया था। इसका मकसद विभिन्न सेक्टर्स के लिए सस्टेनेबल कूलिंग उपाय मुहैया कराना था। इनमें बिल्डिंग इंडोर कूलिंग, एग्रीकल्चर और फार्मास्यूटिकल्स सेक्टर में कोल्ड चेन और रेफ्रिजरेशन तथा पैसेंजर ट्रांसपोर्ट में एयर कंडीशनिंग शामिल है। इसका मकसद 2037 तक कूलिंग की डिमांड में 25 फीसदी तक कमी लाना है।  

पिछले साल आई वर्ल्ड बैंक की एक रिपोर्ट में आईसीएपी के लिए रोडमैप बताया गया था। इसके मुताबिक भारत में ऑल्टरनेटिव और इनोवेटिव एनर्जी एफिशिएंट टेक्नोलॉजीज के लिए भारत को 2040 तक 1.6 लाख करोड़ डॉलर के निवेश की जरूरत होगी। इससे करीब 37 लाख नौकरियां पैदा हो सकती हैं। यानी भारत आने वाले दिनों में ग्रीन मैन्यूफैक्चरिंग का ग्लोबल हब बनकर उभर सकता है। 

भारत ने आईसीएपी के तहत 2037-38 तक सभी सेक्टर्स में कूलिंग डिमांड में 25 फीसदी तक कटौती का लक्ष्य रखा है। इसी तरह रेफ्रिजरेंट डिमांड में 30 फीसदी तक और कूलिंग एनर्जी जरूरत में 40 फीसदी तक कटौती का लक्ष्य रखा गया है। 2022-23 तक 100,000 सर्विसिंग सेक्टर टेक्निशियन की ट्रेनिंग और सर्टिफिकेशन का टारगेट रखा गया है।  

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *