इलेक्ट्रॉनिक रिपेयर हब के रूप में स्थापित करने के लिए शुरू होगा पायलट प्रोजेक्ट
मुंबई- इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र से जुड़े आयात-निर्यात नियमों में ढील देने की तैयारी है। इसके जरिये इलेक्ट्रॉनिक्स रिपेयर हब के रूप में भारत खुद को स्थापित करने के लिए पायवट प्रोजेक्ट शुरू करेगा। यह एक ऐसा कदम है जिससे देश में फ्लैक्स जैसी बड़ी कंपनियों को आकर्षित करने में मदद मिल सकती है।
योजना के तहत सरकार आयात और निर्यात की मंजूरी के लिए लगने वाले मौजूदा 10 दिन की अवधि को कम कर एक दिन कर सकता है। सात ही आयातित सामानों में से 5 फीसदी को रिसाइकल के लिए मंजूरी मिल सकतीहै। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण को बढ़ावा दिया है। इससे एपल और शाओमी भारत में कारोबार के लिए आकर्षित हुई हैं। हालांकि, देश में अभी भी आउटसोर्सिंग की मरम्मत के लिए एक उद्योग की कमी है। यह उद्योग आगे 100 अरब डॉलर का हो सकता है। इस पर अभी चीन और मलयेशिया का एकाधिकार है।
एक अधिकारी ने बताया कि सरकार कर अधिकारियों के साथ समय पर मंजूरी के लिए अनुमोदन प्रक्रिया को आसान बनाने पर सहमत हो गई है, ताकि उपकरण मरम्मत के लिए भारत में आसानी से प्रवेश कर सकें और फिर जल्दी से वापस भेज दिए जा सकें। पायलट चरण में लेनोवो और सिस्को सहित कंपनियां शामिल हो सकती हैं। भारत भी आयातित इलेक्ट्रॉनिक्स सामानों को मूल से अलग देशों को फिर से निर्यात करने की अनुमति दे सकता है, जो वर्तमान में विदेशी व्यापार नियमों के तहत प्रतिबंधित है।

