ये है LIC, सालाना 4.25 लाख करोड़ का निवेश और 3.5 लाख करोड़ प्रीमियम, कुल निवेश 29.84 लाख करोड़
हालांकि सेबी के नियमों के अनुसार, आईपीओ आने के बाद तीन सालों में इसमें सरकार को हिस्सेदारी घटाकर 75 पर्सेंट पर लाना होगा। इस तरह से इसमें तीन सालों में 25 पर्सेंट की हिस्सेदारी बिकेगी। इससे सरकार को करीबन 2 लाख करोड़ रुपए मिल सकते हैँ।
एलआईसी की लिस्टिंग से पॉलिसीधारक को क्या फायदा होगा
बीमा जानकारों के मुताबिक इसकी लिस्टिंग से पॉलिसीधारक को डायरेक्ट फायदा नहीं होगा। इनडायरेक्ट जो फायदा होगा वह यह कि फंड मैनेजमेंट बेहतर होगा। मैनेजमेंट में बेहतरीन लोग होंगे। क्योंकि लिस्टिंग के बाद बोर्ड में एलआईसी खुद लोगों को रख सकेगी। अभी यह सरकार तय करती है। कॉर्पोरेट गवर्नेंस बढ़ेगा। पारदर्शिता बढ़ेगी। साथ ही जो भी बाजार के रेगुलेटर्स के फायदे हैं या नियम हैं वह कंपनी पर लागू होगा। इसका भी अप्रत्यक्ष तौर पर पॉलिसीधारक को लाभ होगा। सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि कंपनी को सब कुछ खुलासा करना होगा, जो अभी नहीं हो रहा है। इससे पॉलिसीधारक को ज्यादा जानकारी मिल पाएगी।
अगर एलआईसी के कारोबार पर हम नजर डालें तो इसकी सालाना रिपोर्ट में काफी बड़ा आंकड़ा है। आंकड़े बताते हैं कि इसने 2017-18 में कुल 3.90 लाख करोड़ रुपए का निवेश किया था। इसमें से 3 लाख करोड़ का निवेश डेट में जबकि 90 हजार करोड़ इक्विटी में किया गया था। 25 हजार करोड़ का फायदा कमाया था। इसी तरह 2018-19 में 2.5 लाख करोड़ डेट में और 68 हजार करोड़ इक्विटी में निवेश किया गया था। 23 हजार करोड़ का फायदा कमाया था। 2019-20 में 3.75 लाख करोड़ डेट में और 60 हजार करोड़ इक्विटी में निवेश किया गया था।18 हजार करोड़ का फायदा कमाया था। 2020-21 के पहले 6 महीनों में डेट में 2.10 लाख करोड़ और इक्विटी में 50 हजार करोड़ का निवेश हुआ है। इन 6 महीनों के दौरान एलआईसी ने 18 हजार करोड़ का फायदा कमाया है।
जानकारी के मुताबिक, एलआईसी का कुल प्रीमियम 2016-17 में 3.04 लाख करोड़ रुपए था जबकि इनकम 4.92 लाख करोड़ रुपए थी। 2017-18 में कुल प्रीमियम 3.18 लाख करोड़ और इनकम 5.23 लाख करोड़ रुपए थी। 2018-19 में इसका कुल प्रीमियम 3.37 लाख करोड़ और इनकम 5.60 लाख करोड़ रुपए थी। एलआईसी ने 2017-18 में एजेंट को 19,311 करोड़ रुपए कमीशन दिया है जबकि 2018-19 में 18,227 करोड़ रुपए कमीशन दिया है। इसकी करीबन 32 करोड़ पॉलिसीज हैं। इसी दौरान इसका कुल निवेश 29.84 लाख करोड़ रुपए रहा है। इसमें से सिक्योरिटीज में 28.32 लाख करोड़ रुपए जबकि अन्य निवेश 34,849 करोड़ रुपए रहा है। इसने भारत के बाहर भी 3,906 करोड़ रुपए का निवेश किया है।
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एलआईसी की लिस्टिंग से वैश्विक इक्विटी बाजारों में देश के स्टॉक बाजार का बड़े पैमाने पर वेटेज बदल सकता है। सरकार इस आईपीओ में बड़े पैमाने पर रिटेल निवेशकों की भागीदारी देख सकती है। यह कर्मचारियों और यूनिट होल्डर्स को शेयर जारी करेगी। यह शेयर डिस्काउंट पर होगा और इसकी वजह से नए निवेशक बाजार में आएंगे। इससे अनुमान है कि 20 करोड़ नए डीमैट खाते खुल सकते हैं। इसके पास करीबन सवा लाख कर्मचारी हैं। इसके आईपीओ से कम से कम 4 करोड़ रिटेल डीमैट खाते बढ़ सकते हैं।
रिटेल को मिल सकता है 25 हजार करोड़ का हिस्सा
अब तक के सबसे बड़े आईपीओ में अगर हम कोल इंडिया के आईपीओ को देखें तो इसमें रिटेल का हिस्सा 2.1 गुना भरा था। यह 15 हजार करोड़ का आईपीओ था। एलआईसी 80 हजार करोड़ रुपए जुटाएगी और इसको 35 प्रतिशत रिटेल का हिस्सा माने तो करीबन 25 से 28 हजार करोड़ रिटेल के हिस्से में जाएगा। यह कोल इंडिया के आईपीओ के रिटेल हिस्से से ढाई गुना ज्यादा होगा। ब्रांड फाइनेंस की रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया भर में जीवन बीमा कंपनियों में एलआईसी 10 वें नंबर पर है। पहले नंबर पर पोस्टे इटैलियन है।