सरसों की कीमत एमएसपी से नीचे पहुंचे, सरकार से की हस्तक्षेप की मांग
मुंबई। सरसों के दाम न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नीचे पहुंच गए है। सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) ने कीमतों में गिरावट को रोकने के लिए सरकार से हस्तक्षेप की मांग की है। इसका कहना है कि तुरंत रिफाइंड तेल के आयात पर प्रतिबंध लगाना चाहिए।
एसईए ने खाद्य और वाणिज्य सचिवों को दिए एक पत्र में कहा है कि थोक बाजार में सरसों की कीमतें एमएसपी के 5,450 रुपये प्रति क्विंटल के भाव से नीचे चली गई हैं। साथ ही रोजाना आधार पर सरसों की आवक भी तेजी में है। ऐसे में आगे इसके भाव में और कमी आ सकती है। एसईए के कार्यकारी निदेशक बी वी मेहता ने कहा, कीमतों में और गिरावट से इन्कार नहीं किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि रिफाइंड पाम ऑयल के बेलगाम आयात से घरेलू खाद्य तेल की कीमतों में गिरावट आई है। जो सरसों की कटाई के किसानों को संकट में डाल रहा है। हमें लगता है कि रिफाइंड पामोलिन के भारी आयात से न तो हमारे सरसों किसानों को मदद मिल रही है और न ही भारतीय रिफाइनिंग उद्योग को।
एसईए ने सुझाव दिया है कि सरकार रिफाइंड पाम तेल के आयात को प्रतिबंधित श्रेणी में रखकर या कच्चे पाम तेल (सीपीओ) और पामोलिन के बीच आयात शुल्क के अंतर को कम से कम 20 प्रतिशत तक बढ़ा कर कीमतों की गिरावट को रोक सकती है। इसके अलावा, सरकार नैफेड जैसी एजेंसियों के माध्यम से एमएसपी पर सरसों की खरीद शुरू कर सकती है। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक चालू फसल वर्ष 2022-23 (जुलाई-जून) में सरसों की बुवाई 98.02 लाख हेक्टेयर अधिक क्षेत्र में की गई है।
उधर, कुछ राज्यों जैसे मध्य प्रदेश और गुजरात में नई फसल के आने से गेहूं की कीमतें तेजी से घट रही हैं। साथ ही जब नई फसल की आवक मध्य मार्च में शीर्ष पर होगी तो कीमतें एमएसपी से नीचे जा सकती हैं। भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) ने एक मार्च को गेहूं वाले राज्यों की बैठक बुलाई है ताकि 2023-24 के रबी मार्केटिंग सीजन पर फैसला किया जा सके। इस समय किसान नए गेहूं को 22 रुपये प्रति किलो बेच रहे हैं। सरकार ने एमएसपी का भाव 21.15 रुपये तय किया है।