देश की जीडीपी वृद्धि दर तीसरी तिमाही में गिरकर 4.4 फीसदी के स्तर पर
मुंबई- देश की अर्थव्यवस्था तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर) में 4.4% की दर से बढ़ी है। सरकार ने मंगलवार शाम को इसके आंकड़े जारी किए। इससे पहले अप्रैल-जून (Q1 FY23) में ग्रॉस डोमेस्टिक प्रोडक्ट यानी GDP ग्रोथ 13.5% और जुलाई-सितंबर (दूसरी तिमाही) में 6.3% दर्ज की गई थी। वहीं पिछले साल की समान तिमाही में GDP ग्रोथ 5.4% थी।
ग्रॉस वैल्यू ऐडेड यानी GVA 4.6% रहा है। एक साल पहली की समान तिमाही में ये 4.7% रहा था। वहीं सरकार ने FY23 के लिए GDP ग्रोथ अनुमान को 7% पर बरकरार रखा है। 2021-22 के लिए इकोनॉमिक ग्रोथ को पहले के 8.7% से रिवाइज कर 9.1% कर दिया गया है। इससे पहले RBI ने 2022-23 के लिए रियल जीडीपी ग्रोथ 6.8% और तीसरी तिमाही के लिए 4.4% रहने का अनुमान लगाया था।
पिछले महीने जारी किए गए पहले अग्रिम अनुमान में भी वित्त वर्ष 2022-23 में जीडीपी का ग्रोथ रेट सात प्रतिशत रहने की संभावना जताई गई थी। जीडीपी का दूसरा अग्रिम अनुमान इसलिए अहम है क्योंकि आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष के लिए जीडीपी वृद्धि दर का अनुमान घटाकर 6.8 प्रतिशत कर दिया है। आरबीआई ने इससे पहले सात प्रतिशत ग्रोथ की उम्मीद जताई थी।
रिजर्व बैंक ने वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर 2022-23 में 6.8 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था। चालू वित्त वर्ष की तीसरी और चौथी तिमाही में जीडीपी ग्रोथ के क्रमश: 4.4 प्रतिशत और 4.2 प्रतिशत रहने की उम्मीद थी। फाइनेंशियल ईयर 2022-23 में एशियाई विकास बैंक (ADB) ने भारतीय अर्थव्यवस्था में सात प्रतिशत विस्तार का अनुमान लगाया है, जबकि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने ग्रोथ के 6.8 प्रतिशत रहने की बात कही है।
सरकार ने कहा, ‘वित्त वर्ष 2022-23 की तीसरी तिमाही में रियल जीडीपी 40.19 लाख करोड़ रुपए पर पहुंच गई, जो पिछले साल की समान तिमाही में 38.51 लाख करोड़ रुपए पर रही थी। ये 4.4% की ग्रोथ है। वहीं 2022-23 में नॉमिनल जीडीपी 69.38 लाख करोड़ पर पहुंच गई जो पिछले साल की समान तिमाही में 62.39 लाख करोड़ थी। ये 11.2% की ग्रोथ है।’
GDP इकोनॉमी की हेल्थ को ट्रैक करने के लिए उपयोग किए जाने वाले सबसे कॉमन इंडिकेटर्स में से एक है। GDP देश के भीतर एक स्पेसिफिक टाइम पीरियड में प्रड्यूज सभी गुड्स और सर्विस की वैल्यू को रिप्रजेंट करती है। इसमें देश की सीमा के अंदर रहकर जो विदेशी कंपनियां प्रोडक्शन करती हैं उसे भी शामिल किया जाता है। जब इकोनॉमी हेल्दी होती है, तो आमतौर पर बेरोजगारी का लेवल कम होता है।