बैंक एफडी में अभी के लिए निवेश फायदेमंद, जानिए कितना मिल रहा ब्याज
मुंबई- दरअसल, इस समय जो स्थितियां हैं, वह कम समय के निवेश के लिए अनुकूल नहीं हैं। ऐसे में निवेशकों को उस निवेश के साधन को चुनना चाहिए, जहां जोखिम कम या शून्य हो और साथ ही बेहतर रिटर्न मिले। बैंकों का फिक्स्ड डिपॉजिट यानी एफडी इसके लिए एक सही रास्ता हो सकता है। पिछले साल मई से लेकर अब तक रिजर्व बैंक ने 6 बार में रेपो दर में 2.5 फीसदी की बढ़त की है। ऐसे में बैंकों ने भी कर्ज के साथ-साथ एफडी पर भी ब्याज बढ़ा दिए हैं। इस तरह की एफडी पर इस समय 8 फीसदी तक का ब्याज मिल रहा है। हालांकि, आपको इस समय एफडी की अवधि एक साल की ही रखनी चाहिए। क्योंकि आगे चलकर दूसरे साधन इससे ज्यादा फायदा दे सकते हैं।
तमाम रिपोर्ट से यह पता चलता है कि आरबीआई अब दरों में वृद्धि के आक्रामक चरण को रोक सकता है। हो सकता है कि यह अगली बार दरों में 0.25 फीसदी की बढ़त और कर दे, पर उसके बाद इसमें कोई गुंजाइश नहीं है। ऐसे में जब आरबीआई अपनी रफ्तार रोक देगा तो बैंक भी डिपॉजिट या कर्ज पर दरें बढ़ाने की गति रोक देंगे। ऐसे में संभावना है कि अब बैंकों के एफडी पर भी ब्याज न बढ़े। वैसे भी पिछले 9 महीने में बैंकों ने एफडी पर 2 फीसदी तक ब्याज बढ़ा दिया है।
शेयर बाजार में इस साल जारी अनिश्चितता आगे भी रह सकती है। विश्लेषकों की माने तो इस साल के अंत तक शेयर बाजार से नकारात्मक रिटर्न भी मिल सकता है। वैसे भी पिछले साल केवल 4 फीसदी तक का रिटर्न मिला है। इस साल कमोडिटी की कीमतें, ऊंची ब्याज दरें और कुछ देशों के बीच तनाव के साथ ही अदाणी जैसे मुद्दों ने भी बाजार को बुरी तरह प्रभावित किया है। दुनिया भर के बाजार इस समय नकारात्मक रिटर्न दे रहे हैं। भारतीय बाजार भी इससे अछूता नहीं है। अगर कोई लंबे समय यानी 3-5 साल के लिए निवेश करना चाहता है तो फिर वह इक्विटी बाजार का रुख कर सकता है।
अगर आपके पास अपने पैसे को रोकने के लिए पांच साल का समय है तो आप इक्विटी केंद्रित सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान यानी एसआईपी का विकल्प चुन सकते हैं। हालांकि, निकट समय में बाजार में गिरावट की वजह से इसने घाटा दिया है, ऐसे में आप लंबे समय के लिए इसे चुन सकते हैं। अगर आपके पास कम समय है तो फिर डेट फंड का विकल्प भी अच्छा है, जहां एक साल की अवधि में बैंक एफडी से ज्यादा रिटर्न मिलने की गुंजाइश है।
सीए अजय कुमार सिंह कहते हैं कि बैंक एफडी का विकल्प आप चुन सकते हैं। पर इसके साथ यह जरूर देखें कि ब्याज पर कर चुकाने के बाद शुद्ध फायदा कितना होता है। अगर इसमें ज्यादा नहीं बच रहा है तो फिर आप ऐसे विकल्प का चयन करें, जहां ज्यादा रिटर्न मिल सके। लेकिन टैक्स का ध्यान जरूर रखें।