अगले साल जीडीपी में रह सकती है सात फीसदी की वृद्धि- आरबीआई
मुंबई। केंद्रीय बजट में पूंजी खर्च पर जोर से निजी निवेश में तेजी की उम्मीद है। इससे रोजगार उत्पन्न होने तथा मांग और भारत की वृद्धि संभावना बढ़ने की उम्मीद है। इस आधार पर अगले वित्त वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर सात प्रतिशत के करीब रहने का अनुमान है। अर्थव्यवस्था की स्थिति पर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के एक लेख में यह संभावना जताई गई है। हालांकि आरबीआई ने साफ किया है कि लेख में व्यक्त विचार लेखकों के हैं और रिजर्व बैंक के विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं।
आरबीआई के लेख में शुक्रवार को कहा गया है कि वित्त वर्ष 2023-24 के बजट में पूंजीगत खर्च 10 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान रखा गया है जो जीडीपी का 3.3 फीसदी है। अर्थव्यवस्था की स्थिति पर प्रकाशित लेख में कहा गया है, हमारा मानना है कि भारत की स्थिति व्यापाक आर्थिक अनुमान से अलग होगी और दुनिया के अन्य भागों से भी यह हटकर होगी। हमारे विचार से इसे अलग करने वाली चीज केंद्रीय बजट है। इससे 2023-27 के दौरान भारत की वृद्धि संभावना बढ़ी है।
लेख के मुताबिक, केंद्रीय बजट में कर, पूंजीगत खर्च और राजकोषीय मजबूती के प्रस्तावों को अगर सही तरीके से क्रियान्वित किया गया तो भारत की वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर (स्थिर मूल्य पर) 2023-24 में सात फीसदी के करीब होगी। आरबीआई के उप गवर्नर माइकल देबव्रत पात्रा की अगुवाई वाली टीम ने यह लेख लिखा है।
लेख के अनुसार हालांकि जनवरी में महंगाई बढ़ी है, आपूर्ति और लागत के मोर्चे पर स्थिति सुधरने की उम्मीद है। सभी सभ्यताओं की पौराणिक कथाओं को याद करते हुए, लेखकों ने कहा कि सूर्य को आमतौर पर चार घोड़ों द्वारा खींचे जाने वाले रथ की सवारी के रूप में दर्शाया गया है। उदाहरण के लिए, यूनान में अपोलो के लिए ऐसा है, मिस्र में रा, रोम में सोल। हालाँकि, भारतीय पौराणिक कथाओं में सूर्य के रथ को सात घोड़ों द्वारा खींचा जाता है। लेख में कहा गया है, हमारे विचार में केंद्रीय बजट 2023-24 सूरज का सातवां घोड़ा है। इसने यह भी कहा कि वर्ष 2023 में संभवत: पहले की तुलना में एक मामूली वैश्विक मंदी की विशेषता होगी।
रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को बैंकिंग बैलेंसशीट में ब्याज दर जोखिम पर अंतिम दिशानिर्देश जारी किए। इसके लिए बैंकों को इंटरेस्ट रेट रिस्क इन द बैंकिंग बुक (आईआरआरबीबी) के लिए अपने जोखिम को मापने, निगरानी करने की जरूरत होती है, जो पूंजी आधार और उधारदाताओं की आय के भविष्य को प्रभावित कर सकता है। आईआरआरबीबी बैंकों की पूंजी और ब्याज दरों में प्रतिकूल उतार-चढ़ाव से उत्पन्न होने वाली कमाई के लिए वर्तमान या संभावित जोखिम को संदर्भित करता है जो इसकी बैंकिंग बैलेंसशीट को प्रभावित करता है। अत्यधिक आईआरआरबीबी बैंकों के मौजूदा पूंजी आधार और/या भविष्य की कमाई के लिए एक महत्वपूर्ण जोखिम पैदा कर सकता है।