सेहत के लिए लोग अब पहले से अधिक जागरूक, खर्च करने को भी तैयार 

मुंबई। कोविड-19 के साथ उपजी अनिश्चितता और चिंता ने लोगों को मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दे पर पहले से कहीं अधिक ध्यान देने के लिए मजबूर किया है। रिपोर्ट से पता चलता है कि महंगी लागत और लोग क्या कहेंगे कि सोच के चलते तीन में से दो उत्तरदाता अभी भी अपने मानसिक स्वास्थ्य के बारे में बात करने के लिए किसी विशेषज्ञ तक पहुंचने में संकोच महसूस करते हैं।  

89 फीसदी उत्तरदाताओं का मानना है कि मानसिक स्वास्थ्य सलाह को उनके स्वास्थ्य बीमा में शामिल किया जाना चाहिए। इसलिए, मानसिक स्वास्थ्य पर जागरूकता बढ़ाने की तत्काल आवश्यकता है। बीमा क्षेत्र भी इसमें सक्रिय रूप से शामिल हो रहा है क्योंकि ‘न्यू नॉर्मल’ में मानसिक स्वास्थ्य का मुद्दा इतना बड़ा पहले कभी नहीं रहा है। 

आदित्य बिड़ला हेल्थ इंश्योरेंस ने पूरे भारत के 19 प्रमुख शहरों में 6600 लोगों के साथ यह सर्वे किया है। कंपनी के सीईओ मयंक बथवाल ने कहा, लोग ऐसे रास्ते तलाश रहे हैं जो इस स्वस्थ जीवन शैली का समर्थन कर सकें, चाहे वह ऑनलाइन हो या ऑफलाइन। इसने उनके व्यवहार को कई तरह से प्रभावित किया है, इसमें उनकी तकनीक, आहार की निगरानी से लेकर नियमित व्यायाम पर गौर करना शामिल है। हालांकि, हमेशा की तरह, नई आदत को अपनाना अधिकांश के लिए एक चुनौती है। लोगों को उनकी हेल्थ जर्नी पूरी करने में मदद करना और प्रोत्साहित करना समय की मांग है। 

32 फीसदी लोग स्वास्थ्य को लेकर गंभीर नहीं 

50 फीसदी उत्तरदाताओं ने ऑनलाइन फिटनेस वीडियो देखे, जबकि 69 फीसदी उत्तरदाताओं ने अपने स्वास्थ्य की जांच करने के लिए वियरेबल डिवाइस का उपयोग किया। हालांकि, हर तीन उत्तरदाताओं में से लगभग एक (32%) ने स्वीकार किया कि वे नियमित रूप से अपने वजन और ब्लडप्रेशर जैसे हेल्थ पैरामीटर की निगरानी नहीं करते हैं। लोग हेल्थ को लेकर वित्तीय रूप से तैयार हो रहे हैं। महामारी ने निश्चित रूप से लोगों के बीच वित्तीय तत्परता के प्रति दृष्टिकोण को बदल दिया है, विशेष रूप से मेडिकल इमरजेंसी के लिए पैसों की व्यवस्था को लेकर लोग सोच रहे हैं। 

पिछले कुछ वर्षों में स्वास्थ्य बीमा के प्रति जागरूकता बढ़ी है और प्रत्येक बीतते वर्ष के साथ अधिक से अधिक लोग स्वास्थ्य बीमा में निवेश कर रहे हैं। लगभग 52% उत्तरदाताओं ने कहा कि उन्होंने ऐसे मेडिकल आपातकाल के लिए पैसा बचाकर रखा है या उनकी योजना है। 78.5% भारतीय मानते हैं कि सक्रिय रूप से ऐसी कंपनियों की तलाश कर रहे हैं जो उनके परिवार के चिकित्सा खर्चों का बीमा करे। 

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