अदाणी डूबे तो प्रधानमंत्री मोदी की अर्थव्यवस्था की योजना हो सकती है चौपट

मुंबई- अरबपति गौतम अडानी के कारोबारी साम्राज्य को कोई भी गंभीर नुकसान पीएम मोदी के इकोनॉमिक प्लान को पटरी से उतार सकता है। यह विश्लेषकों की राय है। इसके पीछे बड़ा कारण यह है कि अडानी ग्रुप देश में माइन्स, पोर्ट्स और एयरपोर्ट्स सहित कई सबसे बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्टस ऑपरेट करता है।  

24 जनवरी को जारी हुई यूएस शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग की रिपोर्ट से अडानी ग्रुप को बड़ा झटका लगा है। इसमें अडानी ग्रुप पर शेयरों में हेरफेर सहित कई आरोप लगाए गए थे। इस रिपोर्ट के बाद अडानी ग्रुप की स्टॉक मार्केट वैल्यू को 100 अरब डॉलर से अधिक का नुकसान हुआ। हालांकि, अडानी ग्रुप ने बार-बार इन आरोपों को बेबुनियाद बताया है। इसके बाद अडानी ने निवेशकों का विश्वास जीतने के लिए कुछ लोन्स का प्रीपेमेंट भी किया। 

अमेरिकन एंटरप्राइज इंस्टीट्यूट के एक वरिष्ठ साथी सदानंद धूमे ने कहा, अगर अडानी का पतन होता है, तो वे प्रधानमंत्री मोदी के इकोनॉमिक विजन का एक बड़ा हिस्सा अपने साथ डुबा देंगे। ये एक ऐसे व्यक्ति हैं, जिसने न केवल इंफ्रास्ट्रक्चर में, बल्कि ग्रीन एनर्जी में भी निवेश किया हुआ है। 

धूमे ने कहा कि मोदी ने अपने और अडानी के बीच संबंधों की ओर ध्यान आकर्षित करने के विपक्षी प्रयासों को रोके रखा है। दोनों ही पश्चिमी राज्य गुजरात से आते हैं। हालांकि, प्रधानमंत्री ने अडानी ग्रुप के संकट और विपक्ष के आरोपों पर सीधा जिक्र करने से परहेज किया है। संसद में अडानी पर बोले बिना वे विपक्ष पर जमकर बरसे हैं। धूमे ने कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि आज भारत में कोई भी ऐसा व्यवसायी है जो प्रधानमंत्री के साथ गौतम अडानी जितना निकटता से जुड़ा हुआ हो। उनके करीबी संबंध 20 साल से अधिक पुराने हैं।’ 

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