स्वास्थ्य बीमा लेते हैं तो उसमें कितने समय बाद दावा लागू होगा,ये जरूर देखें
मुंबई- एक सही स्वास्थ्य बीमा कवर में निवेश करना विवेकपूर्ण वित्तीय प्लानिंग की दिशा में सबसे महत्वपूर्ण कदमों में से एक माना जाता है। एक अच्छी तरह से डिज़ाइन किया गया और ठीक ठाक स्वास्थ्य कवर यह सुनिश्चित करता है कि हम अपनी जेब पर कोई भी असर डाले बिना किसी भी मेडिकल इमरजेंसी को संभालने के लिए तैयार हैं। प्रत्येक स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी में कुछ शर्तें और पेचीदगियां होती हैं जिन्हें आपको पॉलिसी की बेहतर समझ रखने के लिए जानना चाहिए, ऐसा ही एक शब्द है ‘वेटिंग पीरियड’।
वेटिंग पीरियड वह अवधि है जिसमें किसी को पॉलिसी के लाभों का लाभ उठाने से पहले प्रतीक्षा करने की आवश्यकता होती है। यह पूर्व-निर्धारित समय अवधि पॉलिसी दस्तावेज़ में स्पष्ट रूप से उल्लिखित होती है। पॉलिसी शुरू होते ही वेटिंग पीरियड शुरू हो जाती है।
अब आप सोच रहे होंगे कि क्या एक से अधिक प्रकार की वेटिंग पीरियड होती है और यदि हाँ, तो उनके बीच क्या अंतर है और वे कैसे काम करती हैं? एक स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी में आमतौर पर कुछ अलग प्रकार की वेटिंग पीरियड होती है। हम उन पर एक एक कर नजर डालेंगे:-
कूलिंग ऑफ पीरियड : इसे प्रारंभिक वेटिंग पीरियड भी कहा जाता है। यह वह अवधि होती है जब किसी को अपनी स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी का लाभ उठाने से पहले सर्व करनी होती है। स्टैंडर्ड कूलिंग-ऑफ़ अवधि 30 दिन होती है। इस अवधि के दौरान यदि आप बीमारी के कारण किसी भी अस्पताल में भर्ती होते हैं तो इसका दावा नहीं कर पाएंगे। हालाँकि, आपको यह जरूर पता होना चाहिए कि आप शुरुआती दिन से ही दुर्घटनाओं के कारण अस्पताल में भर्ती होने का दावा कर सकते हैं। मतलब यह कि 30 दिनों का वेटिंग पीरियड आकस्मिक रूप से अस्पताल में भर्ती होने पर लागू नहीं होती है।
पहले से मौजूद बीमारियों के लिए वेटिंग पीरियड: – पहले से मौजूद बीमारियाँ उन बीमारियों या हेल्थ कंडीशन को बताती हैं जो पॉलिसीधारक को स्वास्थ्य बीमा खरीदने से पहले होती हैं। स्वास्थ्य बीमा खरीदने से पहले आपको जिस भी बीमारी का पता चला है, उसे ‘पहले से मौजूद’ बीमारी माना जाएगा। रक्तचाप, मधुमेह, थायरॉयड और अस्थमा जैसी बीमारियां इस लिस्ट का हिस्सा होती हैं। इन बीमारियों के लिए वेटिंग पीरियड आमतौर पर 2 से 4 साल तक होता है।
विशेष रोग वेटिंग पीरियड – बीमा कंपनियां हर्निया, मोतियाबिंद और ज्वाइंट रिप्लेसमेंट सर्जरी जैसी कुछ बीमारियों पर वेटिंग पीरियड लगाते हैं। यह वेटिंग पीरियड 2 से 4 वर्ष तक होता है। प्रत्येक बीमाकर्ता के पास उन बीमारियों की लिस्ट होती है जिनके लिए बीमाधारक को वेटिंग पीरियड पूरी करनी होती है। पॉलिसी दस्तावेज़ में इस लिस्ट का स्पष्ट रूप से उल्लेख किया जाता है। प्रत्येक बीमारी के लिए वेटिंग पीरियड का भी स्पष्ट रूप से उल्लेख किया जाता है।
मातृत्व लाभ (maternity benefit) के लिए वेटिंग पीरियड –
स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी में मातृत्व कवर का वेटिंग पीरियड आमतौर पर 9 महीने से लेकर 6 वर्ष तक होता है। इसका मतलब है कि आप निर्धारित अवधि पूरी होने के बाद ही मातृत्व संबंधी दावे दर्ज कर सकेंगी।
मानसिक बीमारी के लिए वेटिंग पीरियड – मानसिक बीमारी अनिवार्य रूप से रेगुलेटर द्वारा जारी गाइडलाइंस के अनुसार स्वास्थ्य बीमा के तहत कवर की जाती है। ऐसी बीमारी के लिए वेटिंग पीरियड आमतौर पर 2 वर्ष होती है। हालाँकि यह यह एक बीमा कंपनी से दूसरी बीमा कंपनी में भिन्न हो सकता है और इसका उल्लेख पॉलिसी दस्तावेज़ में किया जाता है।
क्या वेटिंग पीरियड कम करने का कोई तरीका है? हां, आप अतिरिक्त प्रीमियम का भुगतान करके कुछ वेटिंग पीरियड को कम कर सकते हैं। आप कितनी कमी प्राप्त कर सकते हैं, यह अलग अलग बीमा कंपनियों और प्रोडक्ट में भिन्न भिन्न होता है। इसके लिए आप अपने बीमाकर्ता से संपर्क कर सकते हैं और अतिरिक्त प्रीमियम का भुगतान करके कम वेटिंग पीरियड का लाभ उठा सकते हैं।
इसलिए जब भी आप स्वास्थ्य बीमा खरीदते हैं तो बाद में किसी लाग लपेट से बचने के लिए वेटिंग पीरियड पर अवश्य ध्यान दें। वैसे भी यह सलाह की जाती है कि आप अपने कवरेज की स्पष्ट समझ रखने के लिए अपने पॉलिसी दस्तावेज़ को अच्छी तरह से जरूर पढ़ें। पॉलिसी की कॉपी स्पष्ट रूप से स्पष्ट भाषा में हो जिसमें कवर, एक्सक्लूशन, और अन्य नियमों और शर्तों का साफ साफ उल्लेख हो ताकि पॉलिसी होल्डर के लिए किसी भी भ्रम की गुंजाइश ना रहे।