आईटीआर फार्म में आ सकती है कमी, कई फार्म को खत्म करने का प्रस्ताव
मुंबई- आयकर जमा करने की प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए आयकर विभाग ने कई कदम उठाए हैं। चाहे वह इनकम टैक्स पोर्टल में सुधार करना हो या प्री-फील्ड आईटीआर फॉर्म लाना हो। अब सीबीडीटी ने कॉमन आईटीआर फॉर्म का प्रस्ताव रखा है। सीबीडीटी ने इस पर हितधारकों और नागरिकों से 15 दिसंबर तक सुझाव मांगे हैं।
इस कॉमन आईटीआर फॉर्म का मकसद रिटर्न फाइल करने की प्रक्रिया को यूजर फ्रेंडली बनाना है। साथ ही सीबीडीटी अंतरराष्ट्रीय स्तर की बेहतर चीजों को हमारे यहां भी लागू करना चाहता है। हालांकि, हितधारकों और जनता से मिलने वाली प्रतिक्रियाओं के बाद इस प्रस्ताव में बदलाव भी किया जा सकता है।
सीबीडिटी के प्रस्ताव के मुताबिक अब करदाताओं को अपने लिए उपयुक्त फॉर्म चुनने की तकलीफ नहीं करनी होगी। करीब-करीब सभी करदाता एक ही फॉर्म से आईटीआर फाइल कर सकते हैं। इसलिए इसे हम वन नेशन वन आईटीआर फॉर्म कह सकते हैं। सीबीडीटी के अनुसार, ट्रस्ट और एनजीओ को छोड़कर सभी करदाता कॉमन आईटीआर फॉर्म का उपयोग कर सकते हैं। इस फॉर्म में वर्चुअल डिजिटल एसेट्स यानी क्रिप्टोकरेंसी आदि से प्राप्त मुनाफे को दर्शाने के लिए एक अलग स्थान होगा।
सीबीडीटी ने कहा, ‘‘आईटीआर-7 फॉर्म को छोड़कर बाकी सभी रिटर्न वाले फॉर्म को मिलाकर एक कॉमन आईटीआर फॉर्म लाने का प्रस्ताव है। नए आईटीआर का मकसद व्यक्तियों और गैर-कारोबारी करदाताओं के लिए रिटर्न जमा करने को आसान बनाने और इसमें लगने वाले समय को कम करना है।’
अधिकतर करदाता सहज और सुगम फॉर्म के जरिए अपना आईटीआर फॉर्म भरते हैं। लोगों के मन में अब यह सवाल है कि क्या ये फॉर्म बंद हो जाएंगे। ऐसा नहीं होगा। आईटीआर फॉर्म नंबर एक और चार आगे भी बने रहेंगे। सीबीडीटी ने कहा, ‘मौजूदा आईटीआर-1 और आईटीआर-4 बना रहेगा। पात्र करदाता अपनी सुविधा के अनुसार मौजूदा फॉर्म (ITR-1 या ITR-4) या प्रस्तावित कॉमन आईटीआर फॉर्म में अपना रिटर्न दाखिल कर सकते हैं।’
आईटीआर फॉर्म 1 (सहज) : यह छोटे और मझोले करदाताओं के लिए है। 50 लाख रुपये तक की आय वाले लोग इस फॉर्म को भर सकते हैं। यह सैलरी, हाउस प्रॉपर्टी या दूसरे सोर्स (ब्याज आदि) से प्राप्त कमाई के लिए होता है।
आईटीआर फॉर्म 2 : अगर आपकी आय में रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी से प्राप्त इनकम शामिल है, तो आप यह फॉर्म भर सकते हैं। आईटीआर फॉर्म 3 : बिजनस या प्रोफेशन से इनकम कमाने वाले लोगों के लिए यह फॉर्म होता है।
आईटीआर फॉर्म 4 : इसे हम सुगम के नाम से भी जानते हैं। सुगम फॉर्म का इस्तेमाल 50 लाख रुपये तक की आय वाले व्यक्तियों, हिंदू अविभाजित परिवारों एवं फर्मों द्वारा किया जाता है। आईटीआर फॉर्म 5 और 6 : आईटीआर फॉर्म 5 और 6 सीमित दायित्व भागीदारी (LLP) एवं कारोबारों के लिए निर्धारित हैं।