रुपये को धीरे-धीरे कमजोर होने देना चाहिए, फॉरेक्स का सही तरीके से हो उपयोग
मुंबई- भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को डॉलर की तुलना में रुपये को धीरे-धीरे कमजोर होने देना चाहिए। विदेशी मुद्रा भंडार (फॉरेक्स) का उपयोग सही तरीके से करना चाहिए। वित्त मंत्रालय के मुख्य आर्थिक सलाहकार अनंत नागेश्वरन ने सोमवार को एक ऑनलाइन कार्यक्रम में कहा कि हमें अल्पावधि में ऐसा करना चाहिए। उनकी टिप्पणियों को सरकार की पहली आधिकारिक टिप्पणी के रूप में भी देखा जा रहा है, क्योंकि इस साल की शुरुआत में विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट के बारे में चिंताएं सामने आई थीं।
यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब केंद्रीय बैंक ने रुपये की गिरावट को रोकने के प्रयास में 110 अरब डॉलर से अधिक की बिकवाली कर दी। रुपया पिछले महीने 83 प्रति डॉलर के स्तर को पार करते हुए अब तक के सबसे निचले स्तर पर आ गया था। विदेशी मुद्रा भंडार दो साल के निचले स्तर पर आ गया था।
मुख्य आर्थिक सलाहकार ने कहा, हमें विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ाना चाहिए। इससे किसी भी आकस्मिक समय में मदद मिलेगी। नागेश्वरन ने कहा कि दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के पास पूंजी की निकासी से निपटने के लिए पर्याप्त भंडार है। भारत के व्यापार घाटे को वित्तपोषित करना इस साल की प्राथमिक चुनौती होगी। हालांकि, व्यापक आर्थिक सुधार के संकेत दिख रहे हैं।
उन्होंने कहा कि एक अप्रैल से शुरू हुए चालू वित्त वर्ष में भारत की आर्थिक विकास दर लगभग 6.5% से 7% तक मध्यम रहने की संभावना है। इस वित्त वर्ष के लिए सरकार अपने बजट के अंतर के लक्ष्य 6.4% को पूरा करेगी। इस वित्त वर्ष की पहली छमाही के लिए सरकार का राजकोषीय घाटा बढ़कर 6.20 लाख करोड़ रुपये हो गया, जो पूरे साल के लक्ष्य का 37.3 फीसदी है। उन्होंने कहा, फिलहाल हमारी उम्मीद है कि राजकोषीय घाटे का लक्ष्य पूरा हो जाएगा।
विदेशी मुद्रा भंडार जुलाई 2020 के बाद से 21 अक्टूबर को समाप्त सप्ताह के लिए अपने न्यूनतम स्तर पर गिरकर 524.52 अरब डॉलर हो गया था। विदेशी मुद्रा भंडार अभी भी 3 सितंबर, 2021 को 642.45 अरब डॉलर के रिकॉर्ड उच्च स्तर से काफी नीचे है। 28 अक्टूबर को समाप्त सप्ताह में यह 6.56 अरब डॉलर बढ़कर 531.08 अरब डॉलर हो गया। सितंबर 2021 के बाद से किसी एक हफ्ते में यह सबसे ज्यादा उछाल था।
हाल में भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा था कि केंद्रीय बैंक का विदेशी मुद्रा भंडार बाजार में अनिश्चितता के बावजूद मजबूत बना हुआ है। उन्होंने कहा कि आरबीआई मौजूदा और उभरती परिस्थितियों के निरंतर मूल्यांकन के आधार पर विदेशी मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप कर रहा है।