मुखौटा कंपनियों पर बड़ी कार्रवाई, 40,000 का पंजीकरण हुआ रद्द
मुंबई। पंजीकरण कराने के 6 माह भी कारोबार शुरू नहीं करने वाली करीब 40,000 कंपनियों का पंजीकरण रद्द कर दिया गया है। इनमें से 7,500 दिल्ली और हरियाणा में पंजीकृत थीं। कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय (एमसीए) ने हाल में इनकी जांच की थी और उसके बाद यह फैसला लिया। ऐसी आशंका है कि यह सभी मुखौटा कंपनियां थीं और निष्क्रिय कंपनियों के माध्यम से मनी लॉन्ड्रिंग के कारोबार में लिप्त थीं।
साल 2016 में जब बड़ी रकम वाली नोटबंदी हुई थी, उस समय सरकार ने इस तरह की कंपनियों पर चाबुक चलाया था। हालांकि, तब ऐसी कंपनियों की पहचान की गई जो पंजीकरण के 2 साल बाद भी कारोबार शुरू नहीं की थीं। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि हालिया मामले में उन सभी कंपनियों पर कार्रवाई की जाएगी, जिन्होंने पंजीकरण कराया लेकिन 6 माह में कारोबार शुरू नहीं किया।
एक अधिकारी ने बताया कि सरकार की यह कोशिश है कि मुखौटा और निष्क्रिय कंपनियों पर लगाम लगाई जाए। इससे उन कंपनियों को मदद मिलेगी, जो सही में कारोबार कर रही हैं। कॉरपोरेट मंत्रालय के मुताबिक, देश में कुल 23 लाख से ज्यादा कंपनियां पंजीकृत हैं। इनमें से 14 लाख ही सक्रिय हैं। 800,000 से ज्यादा ने अपना कारोबार बंद कर दिया है।
एक अधिकारी ने कहा कि ऐसे ही एक मामले में हमने पाया कि निदेशक ने एक निष्क्रिय कंपनी का उपयोग करके कर्ज लिया था। जबकि कंपनी का नाम काट दिया गया था। उस पर देनदारी अभी भी जारी है। भविष्य में यदि कंपनी की ओर से कोई देनदारी पाई जाती है या किसी जांच के दौरान एजेंसी ने पाया कि ऐसी संस्थाओं का उपयोग करके संदिग्ध लेनदेन किए गए थे तो कंपनी और उसके निदेशक अभियोजन के लिए जवाबदार होंगे।
एक बार कंपनी का नाम कट जाने के बाद उसकी सूची एमसीए की वेबसाइट पर डाल दी जाती है। अधिकारी ने कहा, समानांतर रूप से सूची को कानून प्रवर्तन एजेंसियों के साथ साझा किया जाता है। वह इसलिए क्योंकि अगर कोई जांच हो रही है तो वे कंपनी पंजीकरण (आरओसी) तक तक पहुंच सकते हैं। इससे कंपनी की पूरी जानकारी हासिल की जा सकती है।
