अखिलेश यादव से 2 करोड़ रुपये उधारी लिए थे मुलायम सिंह यादव
मुंबई- समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव का सोमवार को लंबी बीमारी के बाद गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में निधन हो गया। 3 बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और केंद्र सरकार में रक्षामंत्री रहे मुलायम सिंह को देश के दिग्गज राजनेताओं में से एक कहा जाता था।
मुलायम सिंह को सांस लेने में ज्यादा दिक्कत होने पर मेदांता अस्पताल के आईसीयू में शिफ्ट किया गया था। अस्पताल में मुलायम सिंह (82) की निगरानी खुद मेदांता समूह के निदेशक डॉ. नरेश त्रेहन कर रहे थे। हालांकि हालत बिगड़ने के बाद उनका जीवन नहीं बचाया जा सका और मुलायम ने सुबह 8.16 पर आखिरी सांस ली। जब से मुलायम सिंह यादव अस्पताल में भर्ती हुए थे तब से लगातार उनके समर्थक और प्रशंसक उनकी बेहतर सेहत के लिए पूजा-प्रार्थना कर रहे थे।
मुलायम सिंह यादव अपने पीछे करोड़ों रुपयों की संपत्ति छोड़ गए हैं। साल 2019 में लोकसभा चुनाव के दौरान दाखिल हलफनामे में अपनी संपत्ति की जानकारी दी गई थी। इस हलफनामे के मुताबिक, उनकी संपत्ति करीब 16.5 करोड़ रुपये थी। इस अचल संपत्ति के साथ ही उन्होंने बताया था कि उनकी पत्नी साधना यादव की सालाना कमाई 32.02 लाख रुपये थी।
रिपोर्ट के मुताबिक, सपा संरक्षक मुलायम सिंह कृषि और लोकसभा से मिलने वाले वेतन के जरिए कमाई करते थे। साल 2019 लोकसभा चुनाव के लिए जारी हलफनामे के अनुसार उनके बैंक खाते में 56 लाख रुपये जमा है और लगभग 16 लाख रुपये की नगदी है। हालांकि इसके पहले साल 2014 लोकसभा चुनाव में मुलायम सिंह ने 11 करोड़ रुपये की संपत्ति की घोषणा हलफनामे में बताई थी।
पूर्व मुख्यमंत्री इटावा के सैफई के रहने वाले हैं। उनके पास कृषि योग्य करोड़ों की संपत्ति है। रिपोर्ट के मुताबिक, मुलायम के पास सात करोड़ रुपये से अधिक की कृषि भूमि है। इसी के साथ ही 10 करोड़ रुपये से ज्यादा की गैर कृषि भूमि है। घर की बात करें तो मुलायम सिंह का लखनऊ में घर है, जहां वह पत्नी साधना के साथ रहते थे। इटावा में भी उनका एक प्लॉट है।
लोकसभा चुनाव में दाखिल हलफनामे में मुलायम सिंह यादव ने बताया था कि उनके पास कोई कार नहीं थी। उन्होंने अपने बेटे अखिलेश यादव से तब 2,13,80,000 रुपये का कर्ज भी ले रखा था। आपको बता दें कि यूपी के इटावा जिले में स्थित सैफई गांव में एक साधारण परिवार में जन्मे मुलायम सिंह यादव राजनीति में आने से पहले शिक्षक थे, लेकिन शिक्षण कार्य छोड़कर वो राजनीति में आए और आगे चलकर समाजवादी पार्टी बनाई।