आईपीओ के नियम हुए सख्त, ओएफएस में प्रवर्तक की हिस्सेदारी बेचने की अनिवार्यता खत्म 

मुंबई– सेबी ने शुक्रवार को अपनी बोर्ड की बैठक में कई फैसले किए। इसमें आईपीओ लाने वाली कंपनियों को अब पहले से ज्यादा जानकारी का खुलासा करना होगा। इश्यू जारी करने वाली कंपनी को पिछले लेन देन और निवेशक से फंड जुटाने के आधार पर आईपीओ के भाव का विवरण देना होगा।  

इसी के साथ अब असेट मैनेजमेंट कंपनियों की ओर से रिडंम्प्शन के बाद पैसों का भुगतान पाने में 10 दिन लगता था। जिसे घटाकर 3 दिन किया गया है। डिविडेंड भुगतान का समय 15 दिन से घटाकर 7 दिन किया गया है। सेबी चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच ने कहा कि पुराने नियम जब बनाए गए थे तब चेक जारी किए जाते थे। आज पेमेंट सिस्टम काफी एडवांस और बेहतरीन हो चुका है। लिहाजा अब निवेशकों को भी अपने पैसे के लिए इतने लंबे समय तक इंतजार करने की जरूरत नहीं है। 

निवेशकों के हितों को सुरक्षित रखने के लिए शुक्रवार को म्यूचुअल फंड यूनिट में खरीद-फरोख्त के लिए द्विस्तरीय सत्यापन की प्रक्रिया को लागू करने का फैसला किया गया। इसका नया मसौदा अगले साल एक अप्रैल से लागू किया जाएगा। 

सेबी ने ऑफर फॉर सेल (ओएफएस) के तरीकों में भी बदलाव को मंजूर किया है। सेबी ने कहा कि अभी तक ओएफएस में गैर प्रवर्तक शेयर धारकों को कम से कम 10 फीसदी हिस्सेदारी या 25 करोड़ रुपये के शेयर बेचना जरूरी था। नए नियम में अब इस अनिवार्यता को खत्म कर दिया गया है। 

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