चीन और अमेरिका के बीच तनातनी में फंसा एचएसबीसी बैंक, जल्द ही कार्रवाई कर सकता है ट्रंप प्रशासन

मुंबई- चीन के साथ ज्यादा सरोकार रखनेवाला यूरोप का सबसे बड़ा बैंक एचएसबीसी चीन और अमेरिका के बीच चल रहे ट्रेड, फाइनेंस में फंस गया है। इससे हांगकांग स्थित इस बैंक का प्रॉफिट बुरी तरह से प्रभावित हो सकता है। खबर है कि आज या कल में अमेरिका इस बैंक पर कड़ी कार्रवाई करने का फैसला ले सकता है। 

अमेरिका ने बीजिंग के नए राष्ट्रीय सुरक्षा कानून को लागू करने का मौखिक समर्थन करने के लिए हांगकांग एंड शंघाई बैंकिंग कॉर्पोरेशन (एचएसबीसी) के हांगकांग ऑपरेशंस पर निशाना साधा है। इसके बारे में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन का कहना है कि इसने वित्तीय हब की स्वायत्तता (अटानॉमी) और अधिकारों को काफी कमजोर किया है। उधर चीन बैंक की पहुंच को ब्लॉक करने की धमकी दे रहा है। इसे बैंक के वर्तमान और भविष्य में ग्रोथ के लिए काफी अहम माना जा रहा है। चीन बैंक से इस बात को लेकर खफा है कि इसकी टेक्नोलॉजी कंपनी हुवेई के ईरान पर प्रतिबंधों के उल्लंघन की अमेरिकी जांच के साथ सहयोग के लिए इसने हामी भरी है। एचएसबीसी चीन की फर्म को लोन देता है। 

एचएसबीसी बैंक के भविष्य को लेकर काफी खतरा दिख रहा है। क्योंकि चीन का मेनलैंड इसकी अर्थव्यवस्था के लिए एक वैश्विक प्रवेश द्वार के रूप में जाना जाता है। कुछ विश्लेषक यह भी अटकलें लगा रहे हैं कि इस बैंक को शहर से बाहर भी किया जा सकता है, जिसके नाम से इस बैंक का नाम रखा गया है। अटकलें लगाई जा रही है कि अमेरिका चीनी मूल के एचएसबीसी पर बड़ी कार्रवाई कर सकता है। खबर है कि भारतीय समय के अनुसार आज रात या कल सुबह तक इस पर प्रतिबंध लग सकता है। बता दें कि चीन ने नेशनल सिक्योरिटी लॉ को जून में हांगकांग में लागू किया था। यह अमेरिका को अमान्य था। इसके कारण दोनों देशों में तनातनी चल रही है। इसका खामियाजा हांगकांग के फाइनेंशियल और बैंकिंग सेक्टर को भुगतना पड़ रहा है।  

भारतीय समय के अनुसार आज देर रात ट्रंप प्रशासन को अमेरिकी कदम को लेकर अमेरिकी कांग्रेस में एक रिपोर्ट सबमिट करनी है। इससे पहले 14 जुलाई को हांगकांग के स्पेशल इकोनॉमिक स्टेटस को खत्म करने का ऑर्डर दिया गया था। एचएसबीसी, स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक और दूसरी वित्तीय संस्थाएं जो हांगकांग में हैं, इस कदम को बारीकी से देख रही हैं। क्योंकि अमेरिका का सैंक्शन उन पर लागू हो सकता है। सैंक्शन मतलब अमेरिका इनके कारोबार पर प्रतिबंध लगा सकता है।यूएस के ऑफिशियल को इस साल के अंत तक सारी वित्तीय संस्थाओं का नाम देना होगा, जिसके चलते हागकांग में एचएसबीसी और स्टैंडर्ड चार्टर्ड पर फाइनेंशियल दबाव पड़ सकता है 

हालिया उदाहरण में अमेरिकी अथॉरिटी ने ज्यादा जोखिम वाले लेन-देन को लेकर काफी सख्ती बरती है। एचएसबीसी और स्टैंडर्ड चार्टर्ड का हांगकांग में बड़ा रिटेल ऑपरेशन है। जब से यह सब चर्चा चल रही है एचएसबीसी का शेयर 15.6 प्रतिशत से ज्यादा टूट चुका है। स्टैंडर्ड चार्टर्ड का शेयर 12 प्रतिशत टूटा है।संभावित सैंक्शन जो वित्तीय संस्थान में हो रहा है उसमें बैंक के उन सीनियर एग्जिक्युटिव पर प्रतिबंध लग सकता है जो अमेरिका की यात्रा करते हैं। गुरुवार को ही अमेरिका ने इरान के 18 बड़े बैंकों के खिलाफ सैंक्शन जारी किया था जिसमें इरान की सरकार पर दबाव बनाया गया था। इसमें आतंकी फाइनेंसिंग और न्यूक्लियर को मुद्दा बनाया गया है। इस साल ट्रंप प्रशासन ने चीन की दर्जनों कंपनियों को ब्लैकलिस्ट कर दिया है।  

दरअसल अमेरिकी डॉलर का पावर इंटरनेशनल ट्रेड में है। इसलिए बाजार में अमेरिका का एकाधिकार रहता है। इसके कारण जो गैर अमेरिकी कंपनियां हैं उनको अपनी आदत बदलनी होगी। या तो उन पर भी सैंक्शन लागू हो सकता है। इसके तहत अमेरिकी कंपनी अगर दूसरे देशों में भी प्रोडक्ट बनाती है तो उस पर भी सैंक्शन लग सकता है।  सूत्रों के मुताबिक इस सैंक्शन का ज्यादा असर चीन के इंटरनेशनल ट्रेड पर होगा। क्योंकि एचएसबीसी और स्टैंडर्ड चार्टर्ड को सभी बैंक खातों की जानकारी देनी होगी।  

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *