5 साल में जीएसटी के 1,100 बदलाव हुए, फिर भी लोग नहीं हैं खुश 

मुंबई- वस्तु एवं सेवा कर (GST) ने बीते 5 साल में इनडायरेक्ट टैक्स की जटिलताएं काफी हद तक कम कर दी हैं। 40 तरह के टैक्स और उपकर (सेस) की जगह एक टैक्स के चलते कारोबारियों और टैक्स प्रेक्टिशनर्स का काम आसान हो गया है। इससे टैक्स चोरी घटी है, टैक्स देने की तादाद दोगुनी हो गई है और सालाना इनडायरेक्ट टैक्स कलेक्शन डेढ़ गुना से ज्यादा हो गया। फिर भी एक तिहाई से ज्यादा कारोबारी GST को जटिल मानते हैं। 

इसके नियमों के फॉलो करने में उन्हें पहले से ज्यादा समय लगता है। इसकी वजह है, बीते 5 साल के दौरान GST के नियम-कायदों में 1,100 से ज्यादा बदलाव हुए हैं, जिसने करदाताओं और टैक्स प्रैक्टिशनर्स दोनों को परेशान किया। इसके अलावा, पांच साल बाद भी पेट्रोल-डीजल के GST के दायरे से बाहर होने के चलते आम आदमी भी निराश है। अप्रत्यक्ष करों की नई व्यवस्था की शुरुआती मुश्किलें झेलने के बावजूद लोगों को वो राहत नहीं मिली, जिसकी उम्मीद थी। 

GST लागू होने से पहले देश में पंजीकृत करदाता 59.75 लाख थे। इस साल 30 अप्रैल तक इनकी संख्या दोगुनी से ज्यादा 1.36 करोड़ हो गई। इसके चलते इन डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन डेढ़ गुना से ज्यादा बढ़ गया। आयकर रिटर्न में भी इसके चलते इजाफा हुआ है। 

बैंक ऑफ बड़ौदा के चीफ इकोनॉमिस्ट मदन सबनवीस के मुताबिक, GST सिस्टम लगातार सुधार की दिशा में आगे बढ़ रहा है। सरकार भी इसकी कमियां दूर करने का निरंतर प्रयास कर रही है। फिर भी इसकी स्थिरता के लिए बहुत कुछ किया जाना बाकी है। 

नया होने की वजह से GST के साथ असमंजस, भ्रम और दुविधाएं स्वाभाविक हैं। पर 5 वर्षों में जारी नोटिफिकेशन, सर्कुलर की संख्या कुछ ज्यादा ही है। यह दर्शाती है कि GST में शुरुआत से ही स्थिरता की कमी रही है। 

लोकल सर्कल्स की ताजा सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक, आधे से कम कारोबारी GST से खुश हैं। सर्वें में करीब एक चौथाई कारोबारयों ने निराशा जताई और आधे ने कहा कि GST लागू होने के बाद उनकी मासिक अकाउंटिंग की लागत बढ़ गई है। 

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