धनलक्ष्मी बैंक के एमडी के खिलाफ 90 प्रतिशत शेयर धारकों ने की वोटिंग, पक्षपात का लगाया आरोप
मुंबई– धनलक्ष्मी बैंक के एमडी एवं सीईओ सुनील गुरबख्शानी के खिलाफ बैंक के 90 प्रतिशत शेयर धारकों ने वोटिंग की है। बुधवार को बैंक की एजीएम में शेयर धारकों ने पक्षपात का आरोप लगाया। शेयर धारकों ने कहा कि नए एमडी उत्तर भारतीय निवेशकों का पक्ष लेते हैं। हालांकि शेयर धारकों ने अन्य नियुक्तियों के पक्ष में वोटिंग की है।
दरअसल धनलक्ष्मी बैंक थ्रिसूर (दक्षिण भारत) का है और इसकी पहचान भी केरल के रूप में है। शेयर धारकों का कहना है कि गुरबख्शानी के आने से बैंक की दक्षिण भारत की पहचान खत्म हो जाएगी। इसलिए शेयर धारक सुनील गुरबख्शानी को हटाने के पक्ष में हैं। सूत्रों के मुताबिक बैंक के ज्यादातर शेयर धारक सुनील गुरबख्शानी से नाराज हैं। उनका कहना है कि वे बैंक के एमडी के रूप में फिट नहीं हैं।
बता दें कि गुरबख्शानी फरवरी 2020 में बैंक के एमडी बने हैं। इससे पहले वे एक्सिस बैंक में थे। उससे पहले स्टेट बैंक ऑफ बिकानेर में थे। हालांकि आरबीआई द्वारा नियुक्त किसी सीईओ को हटाने की घटना बहुत कम होती है। इस मामले में शेयर धारकों ने इसे मुद्दा बना लिया है। हाल में बैंक कर्मचारी यूनियन एआईबीईए ने आरबीआई को लिखा था कि वह बैंक में हस्तक्षेप करे।
एआईबीईए के महासचिव सी.एच. वेंकटाचलम ने कहा कि हमने इस मामले में आरबीआई को लिखा है। आरबीआई को चाहिए कि वह एमडी सीईओ को जल्द से जल्द हटाए और किसी फिट एवं प्रापर प्रोफेशनल को एमडी नियुक्त करे। मंगलवार को ही आरबीआई ने बैंक के बोर्ड में अपने महाप्रबंधक डी.के. कश्यप को दो साल के लिए नियुक्ति की थी।
मार्च 2020 तक बैंक के प्रमुख निवेशक (बी रविंद्र पिल्लै 10 प्रतिशत हिस्सेदारी), गोपीनाथन सी.के (7.5 प्रतिशत) और कपिल वधावन (5 प्रतिशत) की ज्यादा हिस्सेदारी थी। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों की 11.4 प्रतिशत हिस्सेदारी है। पिछले हफ्ते आरबीआई ने बैंक के बोर्ड को कहा था कि वह मुख्य महाप्रबंधक (सीजीएम) पी मनिकानंदन को हटा दे। धनलक्ष्मी बैंक के शुद्ध लाभ में 69 प्रतिशत की कमी आई है जो 6.09 करोड़ रुपए जून तिमाही में रहा है। एक साल पहले इसी तिमाही में यह 19.84 करोड़ रुपए था।