एलआईसी की 25 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचकर सरकार जुटाएगी 2 लाख करोड़ रुपए, कई चरणों में होगी बिक्री

मुंबई– देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) में सरकार 25 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने की योजना बना रही है। आज के वैल्यूएशन पर इतनी हिस्सेदारी बिकने पर सरकार को 2 लाख करोड़ रुपए मिलेंगे। हालांकि यह बिक्री की प्रक्रिया कई चरणों में की जाएगी।  

जानकारी के मुताबिक सरकार बजट के अंतर को कम करने के लिए एलआईसी में इतनी ज्यादा हिस्सेदारी बेचना चाहती है। हालांकि सरकार को आईपीओ से पहले संसद के एक्ट को बदलना होगा। क्योंकि एलआईसी का गठन इसी एक्ट के तहत किया गया था। फिलहाल एलआईसी में 10 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचकर 80 हजार करोड़ रुपए जुटाने की योजना है। इसके लिए एलआईसी आईपीओ की तैयारी कर रही है।  

एलआईसी के आईपीओ को लेकर अभी समय तो तय नहीं है, पर सरकार इसी वित्त वर्ष में इसे लाना चाहती है। सरकार का लक्ष्य इस वित्त वर्ष में 2.10 लाख करोड़ रुपए कंपनियों की हिस्सेदारी बेचकर जुटाने का है। इसमें से 80 हजार करोड़ अकेले एलआईसी से मिलने की उम्मीद है। एलआईसी का आईपीओ बाजार की स्थितियों पर निर्भर है।  

एलआईसी की हिस्सेदारी बेचने से सरकार को कोरोना की महामारी से हुए आर्थिक नुकसान की भरपाई करने में मदद मिलेगी। सरकार ने मार्च 2021 तक जीडीपी की तुलना में फिस्कल डेफिसिट को 3.5 प्रतिशत रखने का लक्ष्य रखा है। सरकार ने अब तक इस वित्त वर्ष में एक अप्रैल से कंपनियों की हिस्सेदारी बेचकर 57 अरब रुपए जुटाए हैं। एलआईसी के पास इस समय 34 करोड़ से ज्यादा पॉलिसीज हैं और इसकी कुल असेट्स 32 लाख करोड़ रुपए है। इसके 1.10 लाख कर्मचारी और 12 लाख एजेंट हैं। देश की सबसे बड़ी निवेशक कंपनी एलआईसी सालाना 2 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का निवेश करती है। इसमें से 50-60 हजार करोड़ शेयर बाजार में और बाकी डेट बाजार तथा अन्य में निवेश किया जाता है।  

सरकार ने डेलॉय और एसबीआई कैपिटल मार्केट्स को एलआईसी के आईपीओ के लिए नियुक्त किया है। यह दोनों एडवाइजर्स एलआईसी के कैपिटल स्ट्रक्चर का वैल्यूएशन करेंगे। सरकार इसकी अधिकृत पूंजी को बढ़ाकर 200 अरब रुपए करेगी। इसे 20 अरब शेयर में बांटा जाएगा। हालांकि इसमें कितनी हिस्सेदारी बेची जाएगी, उसके लिए अभी भी सरकार ने दरवाजे खोल रहे हैं। यह वैल्यूएशन के आधार पर तय किया जाएगा। 

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