छोटी बचत स्कीमों के ब्याज में भी हो सकती है बढ़ोतरी  

मुंबई- बढ़ती महंगाई के दौर में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने आम लोगों को एक और झटका दे दिया है। अब होम, ऑटो और पर्सनल लोन महंगे हो जाएंगे। हर तरह के कर्ज पर अब ईएमआई में बढ़ोतरी होगी। हालांकि, एफडी के ‘अच्छे दिन’ आने वाले हैं। फिक्स्ड डिपॉजिट पर अब ज्यादा ब्याज मिलेगा।  

विशेषज्ञ मानते हैं कि नीतिगत ब्याज दरों में इजाफे से स्माल सेविंग स्कीम्स पर मिलने वाले ब्याज में भी बढ़ोतरी हो सकती है। वैसे तो ईपीएफ पर ब्याज दरें ईपीएफओ तय करता है जो फिलहाल 8.1 प्रतिशत के साथ 40 सालों के निचले स्तर पर है। स्माल सेविंग स्कीम्स पर भी ब्याज फिलहाल निचले स्तर पर है। लिहाजा इनमें इजाफे की उम्मीद की जा सकती है। 

रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से सप्लाई चेन के बेपटरी होने, पेट्रोल-डीजल की ऊंची कीमतों जैसे तमाम फैक्टर्स से भारत समेत दुनिया के तमाम देश बढ़ती महंगाई से परेशान हैं। देश में खुदरा महंगाई दर 7 प्रतिशत के साथ 17 महीनों के उच्च स्तर पर है। अप्रैल में ये 7.5 प्रतिशत को भी पार कर सकती है। इसी तरह होलसेल प्राइस इन्फ्लेशन भी 14.6 प्रतिशत के साथ 4 महीनों के उच्च स्तर पर है। ये पिछले 12 महीनों से लगातार दो अंकों में बनी हुई है।  

बढ़ती महंगाई पर लगाम लगाने के लिए आरबीआई ने बुधवार को अचानक रेपो रेट और कैश रिवर्ज रेशियो (CRR) को बढ़ा दिया। ये फैसला मॉनेटरी पॉलिसी कमिटी (MPC) की अचानक हुई बैठक के बाद किया गया। रेपो रेट को 40 बेसिस पॉइंट यानी 0.4 प्रतिशत बढ़ाकर 4.4 प्रतिशत कर दिया गया है। इसी तरह कैश रिजर्व रेशियो को 50 बेसिस पॉइंट यानी 0.5 प्रतिशत बढ़ाकर 4.5 प्रतिशत कर दिया गया है। 2018 के बाद पहली बार रेपो रेट में इजाफा हुआ है।  

रेपो रेट वह है, जिस पर आरबीआई से बैंकों को कर्ज मिलता है। जब बैंकों को आरबीआई से कर्ज महंगा मिलेगा तो वे ग्राहकों को भी महंगा देंगे। कैश रिजर्व रेशियो (CRR) का मतलब है कि बैंकों को अपनी कुल जमा राशि का एक निश्चित प्रतिशत कैश के रूप में आरबीआई में जमा करना पड़ता है। अब सीआरआर 4 से बढ़कर 4.5 प्रतिशत हो गया है तो बैंकों को अब पहले से ज्यादा नकद आरबीआई में जमा करना होगा।  

रेपो रेट और सीआरआर में इजाफे से बैंकों के पास कैश कम होगा। कम कैश होगा तो बैंक कर्ज भी कम बांटेंगे और इस तरह बाजार में कैश फ्लो घटता है। आर्थिक विशेषज्ञ मानते हैं कि मार्केट में कैश फ्लो कम होने से डिमांड में भी कमी आती है। डिमांड में कमी से कीमतें घटती हैं जिससे महंगाई से राहत मिलती है। सीआरआर में मौजूदा बढ़ोतरी से मार्केट में करीब 87 हजार करोड़ रुपये का कैश फ्लो कम होगा। 

रेपो रेट और सीआरआर के बढ़ने से फिक्स्ड डिपॉजिट पर मिलने वाला ब्याज भी बढ़ सकता है। हालांकि, अगर आप नया एफडी कर रहे हैं तो लंबी अवधि के बजाय कम अवधि के लिए करें। 

आरबीआई के ताजा फैसले से हर तरह का कर्ज महंगा हो जाएगा। यानी आपकी ईएमआई बढ़ जाएगी। इसकी वजह ये है कि रेपो रेट बढ़ने की वजह से बैंकों को आरबीआई से बढ़ी दरों पर कर्ज मिलेगा। जब बैंकों को महंगा कर्ज मिलेगा तो वे उपभोक्ताओं को भी महंगा देंगे। 

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